हौसला हो बुलंद,
तो उम्र आड़े नहीं आती ।
परोपकार हो अगर दिल में,
प्रेरणा प्रभु से है आती ।
बेगूसराय निवासी श्रीकांत शर्मा का गुरुवार को पटना से बेंगलुरु आने वाला फ्लाइट छूट गया, श्रीकांत शर्मा ने पूरी आपबीती को बयां किया है …
श्रीकांत शर्मा ने बताया कि फ्लाइट छूटने का कारण रहा बिहार में दो पहिया वाहन चालक की बेवकूफियां तथा बिहार में यातायात प्रबंधन में लगी पुलिस । मैंने होटल में रहने का फैसला किया । सुबह में सोचा गंगा स्नान कर लेते हैं फिर हनुमान मंदिर जाकर दर्शन कर लेंगे । पटना के गाय घाट में पहुंच कर निरीक्षण कर ही रहा था कि एक दृश्य पर आंखे अटक गई । दो आदमी पानी में डूब रहे थे ।
बड़ा आदमी छोटे को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहा था पर खुद नज़रों से ओझल हो गया । सुबह का समय था घाट पर करीब 150 आदमी होंगे, मूकदर्शक तो नहीं थे पर सिर्फ शोर मचाने वाले दर्शक थे । तत्क्षण मैंने दृश्य अवलोकन किया और पानी में कुद गया मानवता के नाते, मैंने अपने उम्र का भी ख्याल नहीं रखा की मेरी उम्र 63 वर्ष हो चुकी है, आगे परिवार भी है । लेकिन जीवन जिसने दिया है वही लेगा और बचायेगा यही जेहन में हर समय रखता हूं।
स्नान कर हनुमान मंदिर जाने वाला था । लेकिन मुझे क्या मालूम हनुमान जी मेरे ऊपर सवार हो चुके हैं । मैं ये क्या करने जा रहा हूं, मैं भी डुब सकता हूं, इतना भी सोचने का समय नहीं था । वर्षों बाद इस तरह के अथाह गंगा के पानी को नजदीक से देखा था । बचपन में कभी-कभी अपनी नदी बुढ़ी गंडक में तैरा करता था ये एहसास था और मैं गंगा में कुद गया ।
बच्चा का सर एक बार पानी के बाहर आया मैं सतर्कता से उसके बांह को पकड़ा दो चार बार धक्का दिया । कुछ क्षण बाद मैं भी बचाने में असमर्थ होने लगा था और खुद पानी पीने लगा, तभी मेरा ड्राइवर जो रिश्ते में पोता लगेगा एक वाटर टियूब पानी में थोड़ी दूरी तय कर फेंका, तब मुझे थोड़ी हिम्मत हुई पर उसमें बंधी रस्सी छोटी थी ये एहसास नहीं था ।
पहले लगा रस्सी का एक छौड़ को किनारे में कोई पकड़ रक्खा है यह भ्रम दो चार सेकेंड में टूट गया, किनारे से सिर्फ आवाज आ रही थी बचके क्यों कि एक जान जा चुकी थी । किसी तरह बच्चे को टियूब के अन्दर हाथ डलवाकर सर को बाहर करबाया, अब हिम्मत बढ़ने लगी थी । वहां जो पानी था वह जल चक्र था, जल प्रवाह नहीं मैं महसूस करने लगा ।
रस्सी किनारे तक नहीं थी छोटी थी उसे समझने में कुछ क्षण लग गया फिर एक हाथ से छोटी रस्सी पकड़, एक ही हाथ से तैरते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा । दिमाग तो काम कर रहा था पर शरीर और सांस की क्रिया विपरीत दिशा में थी ।
बच्चा जब किनारे आया तो उसके परिवार वाले उसे लेकर घर भागे क्यों कि ये बच गया था दूसरा डूब चुका था ये संदेश पहुंचाना स्वाभाविक था । मैं उसका चेहरा पानी में जो देखा था वही स्मरण में है । कुछ देर के बाद कुछ स्त्री-पुरुष उस इंसान के लिए तड़प रहे थे जो डूब गया था, मेरी हिम्मत नहीं हुई उस हृदय विदारक दृश्य को देखने की और मैं प्रभु बजरंग बली को धन्यवाद देने उनके दर हेतु प्रस्थान कर गया ।
* अब यहां एक प्रश्न उठता है प्रशासन पर, पुरे पटना में 125 गंगा घाट है बाढ़ का मौसम है पर SDRF की सिर्फ 9 टीम है । हां वो लोग बत्तमीज भी लगे, स्थानीय लोगों को धमकी और गालियां दे रहे थे किसी का मोबाइल भी फेंकने की कोशिश कर रहे थे । उनके अंदर सहानुभूति कहीं दिखाई नहीं दी ।