अजय धारी सिंह
मधुबनी : मैथिली के लिए मधुबनी के रहने वाले सुपरिचित नाटककार महेंद्र मलंगिया को साहित्य अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। उन्हें 2024 में मैथिली भाषा और साहित्य श्रेणी में उनकी रचना “प्रबन्ध संग्रह” के लिए पुरस्कार की घोषणा की गई है। मधुबनी के मलंगिया गांव के रहने वाले महेंद्र मलंगिया अब तक 13 नाटक लिख चुके हैं। उन्हें भारत के अलावा नेपाल में भी कई सम्मान मिले हैं।*
किस चीज के लिए मिलेगा पुरस्कार
मधुबनी के रहने वाले नाटककार महेंद्र मलंगिया को साहित्य अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा। 2024 में मैथिली भाषा और साहित्य श्रेणी में उनकी रचना ‘प्रबंध संग्रह’ के लिए इस पुरस्कार की घोषणा की गई है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2024 के लिए 20 भाषाओं में राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की गई है। वहीं शेष तीन भाषाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी।
साहित्य प्रेमियों ने जताई खुशी
महेंद्र मलंगिया को साहित्य अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की घोषणा पर साहित्य प्रेमियों का कहना है कि उन्हें यह पुरस्कार उनके नाटक रचना के लिए मिला होता तो और भी बेहतर होता, फिर भी प्रसन्नता की बात है। मैथिली हेतु रचनाओं के चयन के लिए निर्णायक मंडल में इस वर्ष बुद्धिनाथ मिश्र, वशिष्ठ नारायण झा ‘ऋषि वशिष्ठ’, गंगानाथ झा ‘गंगेश’ शामिल थे।
पत्रकारों और साहित्यकारों ने दी बधाई
महेंद्र मलंगिया को साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा पर भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के मधुबनी जिला इकाई से जुड़े पत्रकारों और साहित्यकारों ने भी उन्हें बधाई दी है. इनमें साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार विजेता अधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र झा, संगठन के जिलाध्यक्ष साहित्यकार नारायण यादव, प्रो. शिव कुमार झा, प्रो. जगदीश प्रसाद यादव, सुरेश कुमार गुप्ता, मनीष सिंह यादव, संजय कुमार पंडित, सुभाष सिंह यादव समेत अभय अमन सिंह और अन्य लोग शामिल हैं.
कौन हैं महेंद्र मलंगिया? जानिए
बता दें कि महेंद्र मलंगिया मधुबनी जिले के मलंगिया गांव के रहने वाले हैं। पहले उनका नाम महेंद्र झा था। इसके बाद उन्होंने अपना नाम महेंद्र मलंगिया रख लिया था। वे अब तक 13 नाटक लिख चुके हैं. इसके अलावा वे कई रेडिया नाटक भी लिखे चुके हैं. उन्होंने मिथिला नाट्य कला परिषद भी खोला था. महेंद्र मलंगिया को भारत के अलावा नेपाल में भी कई सम्मान मिल चुके हैं। भारत के कोने-कोने में उनके शिष्य हैं। उन्हें संस्कृति मंत्रालय से फेलोशिप भी मिल चुका है।