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पत्रकारों पर हमला, ये कैसा सुशासन ?… पत्रकार की हत्या के खिलाफ पटना में पत्रकारों ने निकाला कैंडल मार्च…

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बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाना क्षेत्र में आरटीआई एक्टिविस्ट सह पत्रकार बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा का अपहरण कर हत्या कर दी गई.. हत्या के विरोध में बेनीपट्टी, दरभंगा सहित पटना में भी पत्रकारों ने कैंडल मार्च निकाला..

मधुबनी में हुई पत्रकार अविनाश झा की हत्या के खिलाफ पटना में पत्रकारों ने कैंडल मार्च निकाला और श्रद्धांजलि अर्पित की ..

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पटना में पत्रकारों ने पत्रकार के हत्या के विरोध में कैंडल मार्च निकाला.. इस मौके पर पत्रकारों ने नीतीश सरकार से पत्रकारों की सूरक्षा की मांग की साथ ही मृतक अविनाश को न्याय देने के साथ साथ आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की..

बता दें कि अविनाश झा के पिता का नाम दयानंद झा है, मृतक युवक 3 भाई था, जिसमें वह सबसे छोटा था।

बड़े भाई का नाम त्रिलोक झा है। मंझले भाई चंद्रशेखर झा है। चंद्रशेखर झा ने मामले को लेकर एफआईआर दर्ज करवाया था।

मृतक पत्रकार आरटीआई एक्टिविस्ट बुद्धिनाथ झा जिसकी उम्र करीब 22 वर्ष थी, वह लोकल न्यूज़ पोर्टल से जुड़ा हुआ था। दिनांक 9 नवम्बर की रात अपने घर के पास स्थित क्लीनिक के करीब लगे सीसीटीवी में 9.58 बजे रात में अंतिम बार देखा गया है। इससे पहले वह करीब 9 से 9.58 के बीच सीसीटीवी में कई बार घर के गली के आगे मुख्य सड़क पर घूमकर फोन पर बात करता हुआ नजर आ रहा है। इस दौरान वह कई बार गली में जहां उसका क्लीनिक व घर भी अपने निजी जमीन में उधर जाता है फिर सड़क पर आ जाता है, इस दौरान वह लगातार फोन पर बात करता हुआ नजर आया।

अंतिम बार वह 9.58 बजे गले में पीला रंग का गमछा लपेटकर घर से सटे 100 मीटर की दूरी पर स्थित लोहिया चौक होते हुए आगे घर से 300 मीटर की दूरी जहां बेनीपट्टी थाना है उसके सामने से गुजरता हुआ थाने से करीब 500 मीटर आगे 10.5 10.10 के करीब अंतिम बार बाज़ार के आदमक द्वारा देखा गया।

जिसके बाद से उसका कोई पता नहीं चल सका। अहले सुबह परिजनों ने उसकी खोजबीन की, तो पता चला कि उसका बाइक व बाइक की चाभी उसके क्लीनिक में ही है जहां वह खुद अपना काम करता था, व क्लीनिक का गेट खुला हुआ व उसका लैपटॉप भी ऑन ही था।

इस लिहाज से सभी ने अनुमान लगाया कि वह रात में इस मंशा से बाहर निकला कि वह जल्द वापस जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

10 तारीख को परिजनों की चिंता बढ़ी तो पास के ही एक सीसीटीवी कैमरे को खंगाला तो उसमें वह 9.58 में अंतिम बार देखा गया।

10 तारीख को थाने को इस बात की जानकारी दी गई लिखित रूप से, पुलिस ने उसका मोबाइल ट्रेस किया तो बेनीपट्टी थाने से पश्चिम करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बेतौना गांव में 10 तारीख के सुबह 9 बजे करीब में अंतिम बार मोबाइल ऑन हुआ था यह बताया गया, पुलिस वहां पहुंची जानकारी लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिली।

इस बीच उसके कुछ साथियों ने जानकारी दी कि अविनाश झा फिर से बेनीपट्टी के फर्जी नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर कागजी कार्रवाई कर रहा है। जिसको लेकर उसनें 7 नवम्बर को अपने फेसबुक स्टोरी पर उक्त तमाम क्लीनिक के नाम सहित खेला होबे का गाना के साथ लिखा कि, 15 नवम्बर से खेला होबे।

इसी बीच 9 नवम्बर की रात उसे गायब कर दिया गया। अविनाश के फेसबुक स्टोरी भी इस घटना के पीछे का कारण होने की आशंका है।

जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले अविनाश झा ने दर्जनों फर्जी नर्सिंग होम पर परिवार व आरटीआई के माध्यम से लाखों का जुर्माना व कितनों को बंद करवा चुका है। इस दौरान उसे लगातार धमकी भी मिली थी, व कई बार लाखों का प्रलोभन मिला जिसको उसनें कभी स्वीकार नहीं किया।

अविनाश के आरटीआई एक्टिविस्ट व परिवाद दायर करने की निरंतरता के पीछे की वजह यह है कि अविनाश ने 2019 वर्ष में बेनीपट्टी के कटैया रोड में जयश्री हेल्थ केयर के नाम से अपना नर्सिंग होम खोला था, जिसमें वह बाहर से चिकित्सकों को बुलाकर वह मरीजों का इलाज करवाता था। इस बीच प्रतिद्वंद्वी कुछ चिकित्सकों ने उसके नर्सिंग होम पर साजिशन हंगामा करवा दिया जिससे आहत होकर उसनें क्लीनिक बंद कर दिया और ठाना कि अब इलाके में कोई कहीं मेडिकल लाइन में गलत नहीं कर पायेगा, और वह आरटीआई परिवाद करना शुरू कर दिया।

बेनीपट्टी थाना में दर्ज FIR के आलोक में पुलिस अपना अनुसंधान 11 तारीख को भी करती रही, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। पुलिस को संदिग्ध लोगों के सीडीआर निकालने में 20 22 घन्टे का समय लग रहा था।

पुलिस आश्वासन के भरोसे समय बीतता रहा, इस बीच सोशल मीडिया में अविनाश के लापता होने की जानकारी वायरल हो चुकी थी। 12 तारीख को शाम के 7.41 बजे में अविनाश के चचेरे भाई बीजे विकास के नम्बर पर बेनीपट्टी थाना से करीब 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित उड़ेन गांव के एक युवक का कॉल आया कि मेरे गांव के पास से गुजरने वाले स्टेट हाईवे के निकट एक लाश मिली है। जिसके बाद प्रशासन के साथ कुछ परिजन मौके पर पहुंचे जहां शव की शिनाख्त हुई।

शव को जलाकर सड़क किनारे फेंका गया था, शव की पहचान अविनाश के हाथ की अंगूठी, पैर में मस्से का निशान, गले में चेन से की गई। शव को बरामद करने के साथ ही अविनाश के बड़े भाई के सहमति से शव को तत्काल मधुबनी सदर अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। जहां रात में शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सुपुर्द किया गया। जिसका अंतिम संस्कार 13 तारीख को सिमरिया में किया गया।

घटना को लेकर इलाके में काफी आक्रोश है। जिसकी वजह है कि घटना थाना क्षेत्र के महज 300-400 मीटर की दूरी पर हुई है। मृतक युवक का घर भी थाना सड़ महज 400 मीटर की दूरी पर है।

घटना के प्रति पनप रहे आक्रोश के बीच मधुबनी एसपी सत्यप्रकाश के हवाले से मीडिया में अविनाश की हत्या प्रेम प्रंसग में होने के बयान आने के बाद लोगों का आक्रोश 14 नवम्बर रविवार को भड़क गया।

एसपी सत्यप्रकाश के बेतुका बयान के खिलाफ आक्रोश में घटना के प्रतिकार के लिये बेनीपट्टी बाजार बंद रहा साथ ही बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश के अपहरण बाद हत्या के खिलाफ सर्वदलीय संघर्ष समिति के नेतृत्व में प्रतिकार मार्च किया गया।

जिसमें अविनाश को न्याय दो, फर्जी क्लीनिक को बंद करो… मधुबनी एसपी होश में आओ.. के जमकर नारे लगे। जिसके बाद लोहिया चौक को चारों तरफ से घेर कर जाम कर दिया गया। घंटो जाम के कारण सड़क पर वाहनों की कतार लग गई।

जाम से प्रशासन पर बढ़ते दवाब के बीच बेनीपट्टी एसडीओ अशोक मंडल, थानाध्यक्ष अरविंद कुमार दल बल के साथ लोहिया चौक पर पहुंचे जहां वार्ता कर
अविनाश के न्याय के लिए सर्वदलीय संघर्ष समिति ने बेनीपट्टी एसडीओ को अपना मांग पत्र सौंपा।

जिसमें 72 घन्टे के भीतर अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग, अविनाश की आदमकद प्रतिमा लगाने, सभी फर्जी चिन्हित नर्सिंग होम को सील किये जाने, व वर्तमान में संचालित सभी निजी क्लीनिक की जांच करने, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित 7 सूत्री मांगों को सौंपा गया। जिसमें सर्वदलीय संघर्ष समिति ने प्रशासन को 72 घन्टे के अंदर तमाम मांग पर चेतावनी देते हुए समय रहते अमल करने की मांग की है।

सर्वदलीय कमिटी में बीजेपी एमएलसी घनश्याम ठाकुर, सीपीआई के जिला मंत्री मिथिलेश झा, आनंद कुमार झा, कांग्रेस से विजय कुमार मिश्र, बीजेपी से भवानंद झा, योगीनाथ मिश्र, मिथिला स्टूडेंट यूनियन के बिदेश्वर नाथ झा शामिल थे।

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