बिहार विधानसभा में आज स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव की गैर मौजूदगी में प्रभारी मंत्री ललित यादव ने भद्द पिटवा दी. जिस अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन और एनेस्थेसिया चिकित्सक नहीं, उसे ट्रामा सेंटर बताने पर मंत्री ने नीतीश सरकार की मिट्टी पलीद करा दिया. बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा के सवालों से प्रभारी मंत्री पूरी तरह से घिर गए।
मंत्री के जवाब से स्पष्ट हो गया कि बिहार में ट्रामा सेंटर उसे कहते हैं जहां सड़क दुर्घटना होने पर जिस सरकारी हॉस्पिटल में हड्डी के सर्जन और एनेस्थेसिया के विशेषज्ञ न हों. आप उसे आंख मूंदकर ट्रामा सेंटर कह सकते हैं.
भाजपा के विधायक नीतीश मिश्रा ने अपने विधानसभा क्षेत्र झंझारपुर में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर का विधानसभा में ध्यानाकर्षण के माध्यम से सवाल उठाया था. नीतीश मिश्रा ने पूछा था कि झंझारपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-27 पर 2009 में ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्रामा सेंटर स्थापित करने की स्वीकृति दी थी. 23 जून 2009 को भारत सरकार ने इसके लिए 65 लाख की प्रथम भी निर्गत किया था. झंझारपुर एनएच-27 पर ट्रामा सेंटर की स्वीकृति एवं प्रथम किस्त की राशि मिलने के 14 वर्ष बाद भी कार्य शुरू नहीं हुआ है. सरकार इस पर जवाब दे. तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी में प्रभारी मंत्री ललित यादव ने सदन में कहा कि अररिया संग्राम में ट्रामा सेंटर है जो झंझारपुर से मात्र 8 किलोमीटर दूर है. इसके अलावे झंझारपुर में नया मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल निर्माणाधीन है, जिसमें ट्रामा सेंटर की सुविधा होगी .
इस पर नीतीश मिश्रा ने पूरक पूछा और कहा कि मैं इस कार्य को 14 साल से पूरा कराने में लगा हूं. यह बात सही है कि अररिया संग्राम में सीएचसी निर्मित है. क्य़ा अररिया संग्राम में बने अस्पताल को सरकार सीएचसी नहीं ट्रामा सेंटर मानती है तो सरकार स्पष्ट करें, क्योंकि जिला स्वास्थ्य विभाग भी कन्फ्यूजन में है. वह सीएचसी है या ट्रामा सेंटर है? वहां के चिकित्सा का पूरा विवरण मेरे पास है.आग्रह होगा कि मेरी मूल भावना को समझें. 2009 में ही झंझारपुर में ट्रामा सेंटर स्वीकृत हुआ और प्रथम किस्त की राशि निर्गत हुई. प्रस्ताव हुआ कि नेशनल हाईवे पर इसे बनाया जाए .
नीतीश मिश्रा ने आगे कहा कि मंत्री जी स्पष्ट करें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्या प्रावधान है, क्या इंफ्रास्ट्रक्चर है ? ट्रामा सेंटर में क्या इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रावधान है ? कितने पद स्वीकृत हैं? इस पर मंत्री ललित यादव ने कहा कि अररिया संग्राम में ट्रामा सेंटर है . वह सारा लक्ष्य पूर्ति करता है.वैसे हर जिला में एक मेडिकल कॉलेज का स्थापना होना है.
वहां तो चिकित्सा महाविद्यालय स्थापना हो ही रहा है. उसी में ट्रामा सेंटर की व्यवस्था होगी. इसके बाद भाजपा विधायक नीतीश मिश्रा ने मंत्री को घेर लिया. यूं कहें कि विधायक के जाल में मंत्री फंस गए। भाजपा विधायक ने कहा कि सरकार के जवाब में खुद विरोधाभास है .अगर अररिया संग्राम में ट्रामा सेंटर है और वह संचालित है तो निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर बनाने की क्या आवश्यकता है?
दूसरा सवाल यह है कि भारत सरकार की नेशनल हाईवे स्कीम के तहत वो ट्रामा सेंटर की व्यवस्था है? मंत्री जी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह सीएससी है या ट्रामा सेंटर है? मंत्री जी अररिया संग्राम के जिस अस्पताल को ट्रामा सेंटर बता रहे वहां 12 डॉक्टर हैं. जहां पर एक भी ऑर्थोपेडिक चिकित्सक नहीं है. न तो एनेसथेटिक है. क्या वह ट्रामा सेंटर है? वह तो सिर्फ रेफऱ सेंटर है. क्या ट्रामा सेंटर में यही व्यवस्था होती है? सरकार जवाब दे. विधायक के सवाल में मंत्री ऐसे घिरे की जवाब ही नहीं जुटा.