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मुख्यमंत्री जी, मीडिया से दूरी क्यों ?… जनता दरबार के लाईव प्रसारण पर रोक क्यों ?…

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि हम मीडिया की आजादी के पक्षधर हैं. भाजपा वालों ने मीडिया पर कब्जा कर लिया है. हमलोग आयेंगे तो मीडिया आजाद होगी. तब पत्रकार स्वतंत्र रूप से लिखेंगे.

नीतीश कुमार यह कहने से भी नहीं चूकते कि मीडिया जो चाहे लिखे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. हम अपना काम करते हैं. नीतीश कुमार इन दिनों यह बात हर जगह कहते फिर रहे हैं. अब जरा वास्तविकता जान लें.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई सालों से जनता दरबार का आयोजन बंद कर रखा था. 2021 में फिर से जनता दरबार की शुरूआत हुई। शुरूआती दौर में जनता दरबार में मीडिया को बुलाया जाता था.

जनता दरबार की समाप्ति के बाद मुख्यमंत्री पत्रकारों के सवालों का जवाब देते थे. कई ऐसे मौके आये जब मुख्यमंत्री को तल्ख सवालों से सामना हो गया. तब वे भारी परेशानी में पड़ जाते थे. कई ऐसे सवाल थे जिनका जवाब देना संभव नहीं था. तब पत्रकारों पर कैंची चलाने की शुरूआत कर दी. कोरोना का बहाना बनाकर पत्रकारों पर अंकुश लगा दिया गया. तब कहा गया कि मीडिया की फौज से कोरोना बढ़ने का खतरा है. इसके बाद सिर्फ न्यूज एजेंसी के पत्रकारों को बुलाया जाने लगा. कुछ महीनों तक यह फार्मूला चला. लेकिन यहां भी सीएम नीतीश को परेशानी होने लगी. क्यों कि जनता दरबार की समाप्ति के बाद न्यूज एजेंसी के पत्रकार भी सवाल पूछते थे, जिनसे मुख्यमंत्री परेशान होते थे.

कुछ समय बाद न्यूज एजेंसी के पत्रकारों की भी इंट्री बैन कर दी गई. यानि जनता दरबार से पटना के पत्रकारों को पूरी तरह से दूर कर दिया गया. सूचना जनसंपर्क विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जनता दरबार कार्यक्रम का लाईव प्रसारण किया जाने लगा. लाईव प्रसारण के दौरान भी जनता दरबार की हकीकत की पोल खुलने लगी. तब भी मजबूरन लाईव प्रसारण किया जाता रहा. लेकिन 4 सितंबर के जनता दरबार में हद हो गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूल गए कि वे ही गृह मंत्री भी हैं.

4 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूल गए कि वे ही बिहार के गृह मंत्री भी हैं. लाईव प्रसारण की वजह से यह बात निकलकर बाहर आ गई. चूंकि मुख्यमंत्री का वीडिया पब्लिक डोमने था. लिहाजा विपक्षी दलों को हमला बोलने का एक और मौका मिल गया.

भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री करार दिया. इस वाकये के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 11 सितंबर को जनता के दरबार में हाजिर हुए. तब कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर लाईव तो किया गया लेकिन आवाज को म्यूट कर दिया गया. बिना आवाज का वीडिया प्रसारित किया जा रहा था. तब भी सवाल उठे थे.

11 सितंबर के बाद आज 9 अक्टूबर को जनता दरबार का आयोजन किया गया. आज के जनता दरबार का लाईव प्रसारण से ही सरकार ने तौबा कर लिया. यानि बिहार के लोग जनता दरबार का लाईव प्रसारण नहीं देख-सुन सकेंगे. देखेंगे-सुनेंगे तब तो हकीकत का पता चलेगा.

मुख्यमंत्री सचिवालय को जनता दरबार लाईव प्रसारण बंद करने की नौबत क्यों आई…इसके पीछे की वजह 4 सिंतबर 2023 का जनता दरबार है. जब नीतीश कुमार भूल गए थे कि वे ही बिहार के गृह मंत्री हैं.

4 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में थोड़ी देर के लिए अजीब हालात पैदा हो गई थी. अफसर भी ऊहापोह में फंस गए थे। दरअसल, किशनगंज से आए एक फरियादी उमेश दास ने सीएम नीतीश से कहा कि 2021 में FIR दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना सुनते ही मुख्यमंत्री ने फोन लगाने को कहा। फोन लगाने वाला कर्मी परेशान कि आखिर किसे फोन लगाएं? इसके बाद सीएम नीतीश ने कहा कि माननीय मंत्री को फोन लगाओ। कहा कि वहां माननीय मंत्री विजय चौधरी बैठे हैं उनको फोन लगाया गया. मुख्यमंत्री ने पूछा कि किसे फोन लगाए ?

फोन लगाने वाले ने कहा कि माननीय मंत्री विजय चौधरी जी को। इसके बाद तो थोड़ी देर के लिए अफसर एक-दूसरे को देखते रहे। फोन किसे लगाया जाए, इसी कन्फ्यूजन में नीतीश कुमार ने कहा कि उनको लगा दिए, इस विभाग के वही मंत्री हैं? तब तक मंत्री विजय चौधरी भी हंसने लगे। आखिर में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को फोन लगाया गया।

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