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बिहार में इमरजेंसी में आज से डायल करें 112… पुलिस, एंबुलेंस और फायर के लिए अब एक नंबर..सीएम नीतीश कुमार ने किया शुभारंभ…

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पटना. बिहार में आपात सेवाओं के लिए अब लोगों को सिर्फ एक नंबर 112 ही डायल करना होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को आपातकाल की स्थिति में मदद के लिए डायल 112 सेवा की शुरूआत की। इमर्जेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम के लिए राजवंशीनगर के पास 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम बनाया गया है ।

डायल 112 के बाद अब प्रदेश में कहीं भी एंबुलेंस की जरुरत हो या फायर ब्रिगेड की, पुलिस से शिकायत करनी हो या कोई मदद चाहिए। अब इसके लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर की जरूरत नहीं होगी। बस एक नंबर डायल-112 से सभी तरह की इमरजेंसी सेवाओं में मदद मिलेगी। बिहार इस प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराने वाले देश के चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है.

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इमरजेंसी सेवाओं के लिए एक नंबर करने को लेकर बिहार में लगभग एक साल से काम किया जा रहा था। पटना समेत कुछ जिलों में इसका ट्रायल चल रहा था। जिसके रिजल्ट काफी बेहतर रहे हैं। जिसके बाद अब बुधवार से इसकी विधिवत शुरुआत हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में आपातकालीन सेवाओं के लिए एकीकृत नंबर 112 को बुधवार को ही सुबह 11.30 बजे लांच किया।

खास बात यह है कि करीब सात हजार पुलिसकर्मी लोगों को आपातकालीन सेवाएं मुहैया कराने के लिए लगाए गए हैं। इसमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर रैंक तक के पुलिसकर्मी हैं। एसपी रैंक को दो अफसरों को भी लगाया गया है। आईजी वायरलेस इसे मॉनिटर करेंगे। पटना में डायल 112 के तहत कुल 100 और राज्य भर में पहले चरण में कुल 400 गाड़ियां 24 घंटे मूव करेंगी।

अभी जिला मुख्यालयों के लिये सुविधा: डायल-112 की सेवा का लाभ फिलहाल जिला मुख्यालय वाले शहरों को ही मिलेगा। इसके बाद धीरे-धीरे अनुमंडल और प्रखंड स्तर तक इसे ले जाने की योजना है। उद्घाटन से पहले जिला मुख्यालय वाले शहरों में डायल-112 के लिए जरूरी वाहन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। डायल-112 के लिए विशेष बोलेरो गाडिय़ां मंगाई गई हैं, जो जीपीएस समेत अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें मददगार तक पहुंचने के लिए रूट मैप देखने की भी व्यवस्था होगी

केंद्र सरकार की इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम के तहत शुरू की जा रही इस सेवा का उद्देश्य सभी आपातकालीन सेवाओं के नंबर 100, 102, 103 को एक ही नंबर 112 के तहत एक ही प्लेटफार्म पर लाना है। डायल 112 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि आपात स्थिति में नागरिकों के द्वारा वॉयस कॉल, एसएमएस, ईमेल, पैनिक एसओएस रिक्वेस्ट तथा वेब रिक्वेस्ट इस पर भेजा जा सके। बिहार में इस परियोजना को दो चरणों मे लागू किया जा रहा है। पहले चरण में 400 वाहनों में मोबाइल डाटा टर्मिनल लगाया गया है। यह जीपीएस की तरह काम करेगा। इसमें एक मॉनिटर रहेगा जिसमें तीन हिस्सों में जानकारी उपलब्ध होगी।

ऐसे काम करेगा डायल-112 : इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम के लिए राजवंशीनगर के पास 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम बनाया गया है। योजना के तहत शहर के विभिन्न इलाकों में डायल-112 लिखी पुलिस की गाडिय़ां अलग-अलग जगहों पर पहले से मुस्तैद रहेंगी। जैसे ही कोई व्यक्ति मदद के लिए इमरजेंसी नंबर 112 डायल करेगा, वहां से नजदीकी गाड़ी को इसकी सूचना दे दी जाएगी और वह मदद के लिए वहां पहुंच जाएगी। दुर्घटना में घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने में भी इसकी मदद ली जाएगी।

अब दूसरे नंबर को भूल जाइए : इस पहल से लोगों को बड़ी सुविधा मिलेगी। अभी तक हर तरह की मदद के लिए अलग-अलग नंबर याद करने पड़ते थे। पुलिस की सहायता के लिए 100 तो फायर ब्रिगेड और एंबलेंस के लिए अगल नंबर पर फोन मिलाना पड़ता था। ऐसे में अक्सर सहायता लेने के लिए नंबर इंटरनेट पर सर्च करना पड़ता था। इससे परेशानियों से दो चार होने की बात भी सामने आती रही है।

बिहार पुलिस रेडियो परिसर में बना कमांड सेंटर : 1. यह सेवा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध होगी। कॉल टेकर्स के तौर पर 270 महिला सिपाहियों को प्रशिक्षित किया गया है जो कॉल रिसीव करेंगी। प्रत्येक पाली में 90 महिला कर्मी प्रतिनियुक्त रहेंगी। 3. डायल 112 पर जैसे ही किसी पीड़ित के द्वारा कॉल किया जाएगा तो स्वतःकंप्यूटर में एक मामला रजिस्टर्ड होगा तथा एक यूनिक आईडी जेनरेट होगा। सूचना पीड़ित के पास भी जाएगी। 2. 24 सब इंस्पेक्टर डिस्पैचर का काम करेंगे तथा निर्णय लेंगे की कॉल कहां फारवर्ड करना है। 7 इंस्पेक्टर स्तर के ऑफिसर सुपरवाइजर होंगे। केस को क्लोज करने का निर्णय लेंगे।

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