छठ गीतों से फिजा में महापर्व छठ की छटा छा गई है. नेम, निष्ठा व अपार श्रद्धा का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 31 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो गया है.31 अक्टूबर गुरुवार यानी आज व्रती नहाय – खाय करेंगे.1नवंबर शुक्रवार को खरना,2 नवंबर शनिवार को सांयकालीन अर्घ्य और 3 अक्टूबर की सुबह प्रातः कालीन अर्घ्य दिया जाएगा.लोकआस्था का महापर्व छठ ही मात्र ऐसा पर्व है,जिसमें पंडित- पुरोहितों के बगैर ही लोग सूर्य देव की अराधना करते हैं…
प्रत्यक्ष दृश्य देवता हैं सूर्य :
भारतीय सनातन धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष दृश्य देवता और नारायण का स्वरूप माना गया है.सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य नारायण होते हैं, इसलिए सप्तमी तिथि को प्रातः कालीन अर्घ्य देकर छठ के व्रती पारण करते हैं.
भारतीय परंपरा में लोक आस्था का यह महापर्व निरोगिता के कामना से स्वच्छता व नियम- संयम से भक्त सूर्य की अराधना करते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य को षष्ठी तिथि में सांयकालीन अर्घ्य देना शास्त्रोचित है.सांयकालीन अर्घ्य सूर्य के अस्त होने के बाद और सुबह में दूसरा अर्घ्य सूर्योदय होने के बाद दिया जाता है.सूर्य की उपासना से आंख की निरोगिता, बुद्धि की प्राप्ति, रक्तहीनता, चर्म रोग, यक्ष्मा आदि से बचाव, पापों का नाश, संपत्ति एवं रत्न की प्राप्ति और मान – सम्मान, यश में वृद्धि होती है.
ब्यूरो रिपोर्ट, बिहार नाउ