बिहार के दरभंगा में एक माँ की चीख,वेदना और मदद की गुहार ने जहाँ मानवता को शर्मसार किया है वहीँ करुणा और दया के सारे मर्म को दफन भी किया है ।एक ऐसी घटना जो इंसानियत के सारे मूल्यों को चाक कर रहा है ।
जबतक मासूम जिंदा था,यह माँ अपने बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टरों की तलाश में सड़कों पर विलखती और विलाप करती हुई,दौड़ती और भागती रही ।दरअसल,बच्चे को एक दुर्घटना में पाँव में गहरी चोट आई थी ।बदकिस्मती देखिए कि ना तो इस महिला को एक भी ऑर्थोपेडिक सर्जन मिले और ना ही सरकारी एम्बुलेंस ।ममता और बच्चे की जिंदगी के मोह के आँचल में,अपने मासूम बच्चे को लपेटे,यह माँ बस मदद के लिए दौर लगाती रही ।लेकिन माँ की ममता हार गई और यमराज ने इस बच्चे की इहलीला खत्म कर डाली ।बच्चे की मौत से महिला पूरी तरह से टटूट गयी ।
_दर्द,पीड़ा,बेबसी और दुर्भाग्य का दौर,यहीं खत्म नहीं हुआ ।बच्चे की मौत के सदमे में डूबी,इस माँ को बच्चे के कफन के लिए भी कई जगहों पर हाथ फैलाने पड़े लेकिन कफन भी मयस्सर नहीं हो रहा था ।थक-हार कर यह बेबस माँ, पुलिस वालों के पास पहुँची और एक कफ़न दिला दो,की गुहार लगाई लेकिन पुलिस वालों से भी उसे निराशा ही हाथ लगी ।पुलिस वालों ने कहा कि हम कहाँ से कफन लाकर देंगे ।जाओ किसी सामाजिक संगठन वालों से कफन मांगों ।पुलिस वालों का यह रवैया,बेदर्दी से भरा और मदद की जगह,एक बला को टरकाने वाला रहा ।
आखिरकार यह महिला ढूंढ़ते-ढूंढते एक समाजेसेवी संगठन के पास पहुँची,जहाँ मृतक बच्चे के कफन का इंतजाम हो सका ।बच्चे की मौत के बाद कफन के लिए तरसती इस माँ को कफन तो मिल गया लेकिन लॉक डाउन में किसी की मौत पर कोई दुःखी हो रहा है,इस भ्रम पर से पर्दा उठ गया है ।
लॉकडाउन के दौरान भी गरीबी और अमीरी,प्रभाव और बेबसी का असर,साफ तौर पर दिख रहा है ।एक बेबस माँ ने अपने विलाप से सिस्टम के लिए कई सवाल छोड़े हैं ।लेकिन इसका जबाब मिलना नामुमकिन है ।
सुभाष शर्मा, बिहार नाउ, दरभंगा