कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने राज्य सरकार पे आरोप लगाया कि वह प्रवासियों के प्रति दुर्भावना से प्रेरित होकर काम कर रही है और उसीका नतीजा है कि आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव द्वारा क्वारेंटिंन सेंटरों पे रह रहे श्रमिकों को रेल किराया के भुगतान नही करने की धमकी दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राज्य के 3400 क्वारेंटिंन केंद्रों में से अधिकांश जगहों पर प्रवासी श्रमिकों के लिए खाने पीने,पेयजल, शौचालय की समुचित व्यवस्था नही करने की वजह से वहां रखे गए लोगों का नाराजगी व्यक्त करना स्वाभाविक है,ऐसी स्थिति में व्यवस्था में सुधार करने की जगह परेशानी और कष्ट झेल रहे मजदूरों को धमकी देना कि ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित रेल किराया और 500 रुपये का भुगतान नहीं किया जाएगा पूर्णतः अनुचित और दुर्भावना से ग्रसित जान पड़ता है।कांग्रेस पार्टी तैयार है कि वह ऐसे प्रवासी श्रमिकों के रेल किराये का भुगतान करेगी जिसके टिकट का भुगतान कह कर भी नही करेगी बिहार सरकार ..
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आरम्भ से ही प्रवासियों श्रमिकों और छात्रों को बिहार लाने की इच्छा नही थी और जब लगभग डेढ़ लाख वापस लौटे हैं तो उनपर सरकार द्वारा संक्रमण फैलाने के लिए भी आरोपित किया जा रहा है और सरकार के अधिकारी आंकड़े जारी कर बात रहे हैं कि 352 प्रवासी संक्रमित पाए गए हैं जो सरकार के घटिया सोच को उजागर करता है।
उन्होंने सरकार द्वारा मजदूरों के लिए 8 घंटे की जगह 12 घंटे कार्य करने की अनिवार्यता को भी अमानवीय बताया तथा इसकी आलोचना करते हुए सरकार से पूछा कि दो जून की रोटी के लिए 12 घंटे काम करवान कहां तक उचित है?
उन्होंने कहा कि उम्मीद तो यह थी मजदूरों को 7500 रुपये उनके खाते में और 3 माह का राशन उन्हें मुफ्त में दिया जाएगा लेकिन लॉक डाउन के 52 दिन गुजरने के बाद भी सिर्फ एक से बढ़कर एक घोषणाये ही सुनने को मिल रही है कि सरकार ये करेगी वो करेगी, कांग्रेस यह जानना चाहती है कि सरकार कब सहायता पहुँचाएगी??
उन्होंने सरकार से ये भी पूछा कि क्वारेंटिंन सेंटरों पे प्रवासियों के खाने पीने के नाम पे कितनी राशि का आवंटन हुआ है और वहां पेयजल और शौचालय की क्या व्यस्था है?
ब्यूरो रिपोर्ट, बिहार नाउ