गोपालगंज के हथुआ थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के 3 लोगों की हत्या कर दी जाती है। हत्या के पीछे वजह राजनीतिक संघर्ष बताया जाता है।
यह हत्या .24-05-2020 को होती है। हत्या के 3 दिन बाद यह मामला तब तूल पकड़ता है जब विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस मामले में कूदते हैं और ट्वीट करते हैं।
इस हत्याकांड में एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या की जाती है। जो यादव समुदाय से था।
तेजस्वी यादव जे पी यादव को अपना कार्यकर्ता बताते हुए पीएमसीएच उसका हालचाल लेने पहुंचते हैं।
यह मुलाकात करीब 1:00 बजे होती है।
इधर तेजस्वी यादव जे पी यादव से पीएमसीएच में मुलाकात कर बाहर निकलते हैं कि उसके कुछ ही देर बाद गोपालगंज एक बार फिर गोलियों की तड़ तड़ आहट खून और चीख-पुकार से दहल उठता है।
पिछली बार जो गोलियां चली थी उसमें मरने वाले सभी यादव समुदाय के थे।
लेकिन 3 मौत का बदला लेने के लिए एक बार फिर गोपालगंज में बारूद का धुआं गूंजता है लेकिन इस बार गोली ब्राह्मणों के चलती हैं।
जिसमें पप्पू पांडे के संबंधी मुन्ना तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है।
पप्पू पांडे जेडीयू के विधायक हैं। इनके भाई सतीश पांडे पुराने कुख्यात अपराधी हैं जिनके ऊपर 50 से ज्यादा मामले हथुआ थाना में दर्ज हैं।
जेपी यादव का आरोप है उनके परिवार के लोगों की हत्या में पप्पू पांडे साजिशकर्ता हैं और सतीश पांडे और उनका बेटा मुकेश पांडे ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया है।
अगर गोपालगंज की बात की जाए तो गोपालगंज के लिए यह संघर्ष नई बात नहीं है। जातीय संघर्ष ओं का इतिहास पुराना है।
2005 में भी इस तरह के जातीय संघर्ष हुआ करते थे ऐसे कई जातीय संघर्ष है जिसका गवाह गोपालगंज बनता रहा है।
अब बड़ा सवाल नीतीश कुमार के सुशासन से है कि क्या बिहार में 2005 जैसे माहौल बन रहे हैं?
क्या बिहार में एक बार फिर यह जातीय संघर्ष की सुगबुगाहट है?
या यह वह जातीय संघर्ष का धमाका है जो सुशासन सरकार में दबाए जाने की कोशिश के बावजूद सुनाई दे रहा है?
महीप राज, बिहार नाउ, पटना