सनातन धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा की संज्ञा दी गई है, दरअसल आज ही के दिन भगवान वेदव्यास का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था और वेद व्यास ने कई महाकाव्य की रचना की । आज के दिन परंपरा है कि गंगा स्नान के बाद दान एवं अपने अपने गुरु की पूजा करने से पापों का नाश होता है एवं जन्म सफल हो जाता है ।
लेकिन इस बार कोरोना को लेकर धर्मगुरुओं ने भी अपने अपने शिष्यों को घर से ही पूजा अर्चना करने का निर्देश दिया था और ऐसा ही नजारा आज देखने को मिला फतेहा के गीता धाम में । गौरतलब है कि फतेहा के गीता धाम में गुरु राम सुमिरन दास के यहां प्रत्येक वर्ष हजारों हजार की संख्या में इनके शिष्य आते थे और गुरु का आशीर्वाद लेते थे । लेकिन इस बार जगतगुरु राम सुमिरन दास ने भारत के विभिन्न प्रदेशों एवं विदेशों में रहने वाले अपने शिष्यों को सरकार के निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी थी ।
लेकिन फिर भी इनके कुछ शिष्य जरुर पहुंचे और गुरु पूजन के बाद अपने गुरु का आशीर्वाद लिया। ऐसी मान्यता है कि बेगूसराय के बछवाड़ा प्रखंड के फतेहा स्थित भंडारी बाबा ठाकुर बारी में जो भी भक्त श्रद्धा भाव से आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है…
धनंजय झा, बिहार नाउ, बेगूसराय