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7 दिवसीय मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला आरंभ, “मिथिलाक्षर में भी रोजगार की प्रबल संभावनाएं” ..

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*हजारों पांडुलिपियां अनुवाद की जोह रही है बाट-डॉ शशि नाथ

*घर मे जरूर बाजी आ लिखी मैथिली-डॉ वीणा*

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दरभंगा: मैथिली फिल्म अकादमी और रामेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार से सात दिवसीय मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला का समारोह पूर्वक शुभारंभ किया गया।
इस कार्यशाला में 50 से अधिक अलग-अलग आयु वर्ग के युवक युवतियों भाग ले रही है।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने कहा की मिथिलाक्षर लिपि मैथिली भाषा की आत्मा है, लिपि से ही भाषा का गौरव और सम्मान स्थापित होता है। मिथिलावासी भाग्यशाली हैं की उन्हें एक उन्नत लिपि प्राप्त है जिससे मैथिली भाषा को अष्टम अनुसूची में स्थान मिला। इस लिपि के माध्यम से रोज़गार की भी असीम संभावनाएं हैं। हजारों पांडु लिपियों का अनुवाद कार्य लंबित है वही उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों के शिक्षा के माध्यम के रुप में भी रोज़गार सृजन के द्वार खुल रहे हैं।
मुख्य अतिथि के रुप में मैथिली साहित्य अकादमी दिल्ली की पूर्व प्रतिनिधि डॉ वीणा ठाकुर ने कहा कि लिपि के संरक्षण से ही भाषा का विकास संभव है। आज देश में 310 भाषा मरणासन्न है। इस प्रशिक्षण कार्यशाला की सार्थक उपयोगिता यही है कि हम अधिक से अधिक लोगों को मिथिलाक्षर सीखने सिखाने को प्रेरित करें।उन्होंने अपने घर से इस कि शुरुआत करने की बात कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामेश्वर लता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ दिनेश झा ने इस मिथिलाक्षर लिपि से संबंधित रोज़गार की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा करते हुए कहा कि निरंतर अभ्यास से ही दक्षता संभव है उन्होंने इसे लेकर हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया।
इससेे पूर्व वैदिक मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। डॉ मैथिली कुमारी ने गोसाउनी गीत एवं सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध युवा गायक दीपक कुमार झा ने स्वागत गीत गाया।अतिथियों का स्वागत करते हुए मैथिली फिल्म अकादमी के संयोजक शशि मोहन भारद्वाज ने कहा कि वर्तमान में सरकारी प्रयास मिथिलाक्षर लिपि के संरक्षण संवर्धन के लिए आवश्यक है।
संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने अपने हाथों से व्हाइटबोड पर मिथिलाक्षर के स्वर वर्ण लिखकर प्रशिक्षण कार्यशाला प्रारम्भ किया।
प्रशिक्षक कौशल कुमार ने उपस्थित प्रतिभागियों को मिथिलाक्षर लिपि की इतिहास के बारे में बताया और प्रारंभिक जानकारी देते हुए अभ्यास कराया। शशिभूषण चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।कार्यक्रम का संचालन वरुण कुमार झा कर रहे थे।
इस मौके प्रियंका तिवारी,शैलेन्द्र कुमार कशयप, डॉ विजय कुमार मिश्रा,डॉ मुकेश कुमार निराला, ममता पांडे चन्द्रशेखर झा उर्फ बूढाभाई,शारद कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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