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सुपौल में सड़क पर हुई कोरोना मरीज की मौत मामले में DM ने की जांच, दोषियों पर कार्रवाई की कही बात..

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रिपोर्ट – सुभाष चंद्रा

सुपौल – शनिवार की शाम त्रिवेणीगंज स्थित बुनियादी केंद्र जिसमे कोविड केयर सेंटर संचालित किया जा रहा है। वहां केंद्र के बाहर एक कोरोना पीड़ित मरीज की ऑक्सीजन और एम्बुलेंस के अभाव में सड़क पर ही मौत हो जाने के मामले में डीएम महेंद्र कुमार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने आज शाम त्रिवेणीगंज के बुनियादी केंद्र में संचालित कोविड केयर केंद्र पहुंचे और घटना की बारीकी से जांच की। जिसके बाद डीएम महेंद्र कुमार ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज देखने और मौजूद डॉक्टर व कर्मियों से पूछताछ के बाद पता चला है कि उक्त मरीज कल 12 बजे के आसपास कोविड केयर सेंटर में भर्ती हुआ था। उस दौरान उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम था।

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लिहाजा उसे ऑक्सीजन लगा दिया गया। लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे रेफर करके एम्बुलेंस आने का इंतजार किया जा रहा था। बताया गया कि मरीज के परिजन कोविड सेंटर घुस गए और इलाजरत मरीज से ऑक्सीजन हटा दिया और उसे बाहर ले आये। बताया कि मरीज की हालत सुधर रही थी। क्योंकि 3 बजकर 52 मिनट में मरीज खुद चलकर कोविड केयर से निकलकर बाहर आया था। कहा कि चूंकि अस्पताल में सिर्फ एक सरकारी एम्बुलेंस है। और उस समय किसी मरीज को लेकर एम्बुलेंस बाहर गया हुआ था। लिहाजा मरीज बाहर में परिसर के सड़क पर ही एम्बुलेंस का इंतजार कर रहे थे। इस बीच मरीज की हालत बिगड़ गई। जिसकी सूचना के बाद कोविड केयर में मौजूद कर्मी ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर वहीं उसे लगा दिया। बताया गया कि एम्बुलेंस जब तक आया उससे कुछ देर पहले मरीज की मौत हो गई। उन्होंने ये भी कहा कि ये कहना कि ऑक्सीजन उसे मरने के बाद लगाया गया है गलत है। क्योंकि जब उसे ऑक्सीजन लगाया गया था तब उसकी सांस चल रही थी।

इधर चूंकि घटना हुई है लिहाजा जो भी इस मामले में दोषी है क्योंकि स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी अन्य व्यक्ति कोविड केयर सेंटर के अंदर प्रवेश नहीं करेगा तो ऐसे में मरीज के परिजन कैसे अंदर घूस गए । इसके लिए प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट जिम्मेदार है। इसके अलावे इस मामले में जो भी दोषी है जांचोपरांत उनके विरुद्ध समुचित कार्रवाई की जाएगी। खैर डीएम साहब ने इस मामले की जांच कर ली है और फिलहाल दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात भी कही है।

लेकिन इस घटना ने कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। जब मरीज को रेफर किया गया तो उन्हें एम्बुलेंस मुहैया करने में इतनी देर क्यों लगी, सरकारी एम्बुलेंस नही थी तो प्राइवेट का भी जुगाड़ किया जाना चाहिए था, क्यों और कैसे मरीज के परिजन कोविड केयर घूस कर मरीज को जबरन बाहर निकाल लिए,इसकी सूचना उच्चाधिकारी को क्यों नहीं दी गई, फिर जब मरीज की हालत बिगड़ी तो उन्हें बाहर में ऑक्सीजन लगाने के बाद अंदर कोविड केयर सेंटर में भर्ती क्यों नहीं किया गया, बहुत सारे ऐसे सवाल है जिसका उत्तर ढूंढने की आवश्यकता है। जिसके बाद मामला साफ हो सकता है कि इसके लिए दोषी वास्तव में कौन है।

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