सहरसा के सौरबाजार थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष शिवशंकर कुमार द्वारा लूट की घटना को मारपीट एवं चोरी की घटना में बदलना उनके लिए वरदान या अभिशाप ?
मालूम हो कि बिहार के कविना मंत्री के आलोक एचपी पेट्रोल पंप पर कार्यरत कर्मी इंद्रदेव कुमार, धीरज कुमार, अमृत कुमार एवं रणवीर कुमार हर दिन की भाँति 23 मई को भी पेट्रोल पंप का कार्य निष्पादित कर रात में अपने गाँव सौरबाजार थाना क्षेत्र के बखरी जा रहा था।
अचानक थाना क्षेत्र के धमसैनी गाँव के जगधर घाट मंदिर के समीप ज्योहीं पम्पकर्मी मोटरसाईकिल से पहुँचा त्योंहीं पूर्व से घात लगाए अज्ञात अपराधकर्मियों द्वारा उक्त सभी लोगों के साथ हथियार का भय दिखाकर लूटपाट की घटना को अंजाम दिया गया।
इस सम्बंध में पीड़ित पम्पकर्मियों द्वारा सौरबाजार थाना में आवेदन देकर कांड दर्ज करने हेतु अनुरोध किया गया। तथाकथित आवेदन के आधार पर सौरबाजार थानाध्यक्ष द्वारा लूट की घटना को मामूली चोरी एवं मारपीट की घटना में तब्दील कर मामला दर्ज किया गया।
लूट की वारदात को मारपीट व चोरी की घटना में परिवर्तित करने से असंतुष्ट पीड़ित आवेदक इंद्रदेव कुमार ने पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह को आवेदन देकर निष्पक्ष जांच की माँग की। एसपी श्रीमती सिंह ने प्राप्त आवेदन के जाँच हेतु सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संतोष कुमार को जाँच का जिम्मा सौंपा गया। जाँच प्रतिवेदन में सदर एसडीपीओ ने तत्कालीन थानाध्यक्ष सौरबाजार शिवशंकर कुमार को दोषी पाया।
उन्होंने अपने जाँच प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा है कि उपर्युक्त चारों पीड़ित युवक से अज्ञात अपराधकर्मियों ने लगभग 50 हजार रुपये नगद, मोबाईल, मोटरसाईकिल का ऑनर बुक, ड्राइविंग लाइसेंस, एटीएम कार्ड के अलावे सोना-चाँदी का चेन व ब्रेसलेट हथियार का भय दिखाकर लुटा।
पीड़ित लोगों द्वारा हो-हल्ला करने पर स्थानीय लोगों को घटनास्थल की ओर आते देख अपराधी लूट की वारदात को अंजाम देकर मौके से फरार हो गए।
घटित घटना को लेकर उक्त पीड़ित लोगों के द्वारा सौरबाजार थानाध्यक्ष शिवशंकर कुमार को लिखित आवेदन देकर घटना में संलिप्त अपराधियों की पहचान कर कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था, तथा जाँच के क्रम में यह पुष्टि हुई कि थानाध्यक्ष शिवशंकर कुमार द्वारा उपर्युक्त व्यक्तियों का आवेदन बदलकर दूसरा आवेदन किसी दूसरे व्यक्ति से लिखवाकर बिना पढ़े हस्ताक्षर करवाकर मारपीट व चोरी की घटना दर्ज किया गया।
प्राथमिकी दर्ज होने के उपरांत आवेदक को पता चला कि घटना का स्वरूप बदलकर मारपीट एवं चोरी का मामला दर्ज किया गया है। उक्त घटना का दबिकरण से आमलोगों के बीच पुलिस की छवि धूमिल हुई है, जो इनके घोरलापरवाही, कर्तव्यहीनता, मनमानेपन एवं एक अच्छे पुलिस पदाधिकारी के विपरीत संदिग्ध आचरण रखने का द्योतक है।
सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के द्वारा पुलिस अधीक्षक को समर्पित जाँच प्रतिवेदन के आलोक में पुलिस अधीक्षक ने पु०अ०नि० शिवशंकर कुमार से स्पष्टीकरण मांगा था। स्पष्टीकरण के जवाब से असंतुष्ट पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने तत्काल प्रभाव से सौरबाजार थानाध्यक्ष को मुक्त करते हुए 7 जून को पुलिस लाईन सहरसा वापस बुला लिया गया।
मात्र तीन दिन बाद आखिर कौन सी ऐसी परिस्थिति बनी कि पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने पुलिस केन्द्र सहरसा में लाईन हाजिर पु०अ०नि० शिवशंकर कुमार को अनुमंडलीय थाना सिमरीबख्तियारपुर में क०अ०नि० के पद पर योगदान देने का फरमान सुनाया गया।
क्या यही सुशासन बाबू की सरकार है?। जिस थानेदार सजा और 72 घंटे बाद मलाई की थाली पकरायी गयी वो भविष्य अब लूट को चोरी क्या घटना ही नहीं मानेगा? आखिर वो कौन जादू था जिससे दागदार थानेदार 72 घंटे में बेदाग बन गया ?
बी एन सिंह पप्पन, क्राइम हेड,कोसी प्रक्षेत्र, बिहार नाउ