ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। घटना बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास हुई। स्टेशन से कुछ दूरी तय करने के बाद एक ट्रेन मेन लाइन छोड़कर लूप लाइन में चली गई और हादसा हो गया।
कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण और भुवनेश्वर से 170 किलोमीटर उत्तर में बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे भीषण ट्रेन हादसा हुआ। इस हादसे का शिकार तीन ट्रेनें हुईं जिसमें कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और मालगाड़ी शामिल हैं।
इस भयावह हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे बुरी तरह छतिग्रस्त हो गए। इनमें सामान्य, स्लीपर, एसी 3 टियर और एसी 2 टीयर के डिब्बे शामिल थे। कुछ डिब्बे बगल के ट्रैक पर भी जा गिरे।
उस वक्त दूसरी ओर से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को गुजरना था। बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे गिरे हुए थे। इसकी वजह से बेंगलुरु-हावड़ एक्सप्रेस इन डिब्बों से टकरा गई। टक्कर के चलते बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के सामान्य श्रेणी के तीन डब्बे पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पटरी से उतर गए। हादसे के बाद लोगों की चीख-पुकार शुरू हो गई। चारों तरफ खून से सने क्षत-विक्षत और अंगविहीन शव ही दिख रहे थे।
कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस 116 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी। दोनों ट्रेनों में लगभग दो हजार यात्री सवार थे। स्टेशन के आसपास ही लूप लाइन बनाई जाती हैं जो आम तौर पर 750 मीटर लंबी होती हैं ताकि एक से ज्यादा इंजन के साथ चलने वाली मालगाड़ियों को वहां खड़ा किया जा सके।
जहां हादसा हुआ, उस रूट पर कवच प्रणाली एक्टिव नहीं थी, जो एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आ जाने की स्थिति में हादसे को रोकती है। शुरुआती जांच कहती है कि सिग्नल मिलने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन से रवाना हुई। आगे जाकर वह अप मेन लाइन छोड़कर लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी पहले से खड़ी थी। यहां पर पहली भिड़ंत हुई और कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे डाउन मेन लाइन पर आ गए, जहां दूसरी ट्रेन बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस आई। इसी वजह से कई लोगों की जान गई।
रेलवे के जानकारों का कहना है कि इस हादसे के पीछे दो कारण नजर आ रहे हैं। पहला- मानवीय भूल और दूसरा- तकनीक में खराबी। इस हादसे के पीछे तकनीक में खराबी को अब तक बड़ी वजह माना जा रहा है। जब हादसा हुआ उस दौरान अगर सिग्नल सिस्टम दुरुस्त होते तो कोरोमंडल एक्सप्रेस को रोका जा सकता था।
दरअसल, ड्राइवर ट्रेन को कंट्रोल रूम के निर्देश पर चलाता है और कंट्रोल रूम से निर्देश पटरियों पर ट्रैफिक को देख कर दिया जाता है। ऐसे में हादसे की जानकारी भी कंट्रोल रूम के पास पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, यह जानकारी कंट्रोल रूम तक कितनी देर में पहुंचती है, यह हादसे को रोकने में बड़ा फैक्टर हो सकता था।