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WHO कार्यालय में नियमित टीकाकरण को लेकर ANM का प्रशिक्षण शुरू…

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बच्चों को मामूली सर्दी, खांसी होने पर भी टीकाकरण से नुकसान नहीं
विभिन्न प्रखंडों से आये एएनएम को टीकाकरण के सही कार्यान्वयन को ले दिया निर्देश
दरभंगा. जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से सोमवार को डब्लयूएचओ कार्यालय में एएनएम को नियमित टीकाकरण का प्रशिक्षण दिया गया. इसके तहत प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके मिश्रा, डब्लयूएचओ, यूनिसेफ के अधिकारियों ने नियमित टीकाकरण की विस्तृत जानकारी दी.

कार्यक्रम में विभिन्न प्रखंडों से आये करीब 35 एएनएम को टीकाकरण का महत्व, कार्यक्रम आदि के बारे में बताया गया. कहा कि बहुत सी गंभीर और खतरनाक बीमारियां आज भी दुनियाभर में मौजूद हैं. इनमें से कई बीमारियों से बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है. इन बीमारियों के प्रति शिशु को सुरक्षा प्रदान करने के लिए टीके लगवाना ही सबसे बढ़िया उपाय है.

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बच्‍चों के शरीर मे रोग से लड़ने के लिए टीके या इंजेक्‍शन लगाए जाते हैं, जिससे बच्‍चों के शरीर की रोग से लडने की शक्ति बढती है. टीकाकरण से बच्‍चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की रोकथाम होती है. 16 साल तक के बच्चों का 15 तरह की बीमारियों से टीकों द्वारा बचाव किया जा सकता है. यह बीमारियां अक्सर जानलेवा होती हैं. इसलिए सभी अभिभावकों को अपने नौनिहालों की सुरक्षा इन टीकों के द्वारा जरूर करनी चाहिए.
कब- कब लगायें टीका
एएनएम को टीकाकरण कार्यक्रम की जानकारी देते हुये बताया गया कि जन्म के तुरंत बाद नवजात को बीसीजी एवं पोलियो की पहली खुराक पिलायी जाती है. छह सप्ताह का होने पर डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी, हिब वैक्सीन, पोलियो की दूसरी ख़ुराक दी जाती है. यह वैक्सीन बच्चे को डिप्थीरिया, टिटनेस, पर्टयूसिस (काली खांसी), हेपेटाइटिस बी और मेनेन्जाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) से बचाता है. बच्चे को 10 सप्ताह का हो जाने पर डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस इंफ्लूएंजा बी, हिब वैक्सीन और पोलियो ड्रॉप की तीसरी खुराक पिलायी जाती है. जब बच्चा 14 सप्ताह का हो जाए तब डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वैक्सीन, पोलियो ड्रॉप की चौथी खुराक देना आवश्यक होता है. 9 माह का होने पर बच्चे को मीजिल्स का टीका दिया जाता है. बच्चे के एक वर्ष के होने पर चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस ‘ए’ की पहली खुराक दिया जाना चाहिये. 15 माह का होने पर एम.एम.आर.वैक्सीन दिया जाता है इससे बच्चे को मीजिल्स, मम्प्स और रूबैला जैसी बीमारियों से बचाया जाता है. 16 से 18 माह का होने पर डी.टी.पी. का पहला बूस्टर डोज, ओरल पोलियो वैक्सीन की पांचवीं खुराक, हिब वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाता है. 18 माह का होने पर हेपेटाइटिस ‘ए’ की दूसरी खुराक बच्चों को पिलायी जाना चाहिये. जब बच्चा दो वर्ष का हो जाए तब टाइफॉयड वैक्सीन, पांच वर्ष का होने पर टाइफॉयड वैक्सीन और डी.टी.पी. का दूसरा बूस्टर डोज, पोलियो की छठी खुराक दिया जाता है.
ध्यान देने योग्य बातें
एएनएम को टीकाकरण के बारे में बताते हुये डीआइओ डॉ मिश्रा ने बताया कि अगर मां को हेपेटाइटिस ‘बी’ का इंफेक्शन हो तो शिशु को पहले 12 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए. जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका देने के बाद बाकी टीके छह, 10 और 14 सप्ताह में या छठे या चौदहवें सप्ताह में दिए जाने चाहिए. डी.टी.पी. डब्ल्यू/ हेपेटाइटिस बी/ हिब वैक्सीन के मिश्रित टीके छठे, दसवें और चौदहवें सप्ताह में दिए जाने चाहिए. बच्चों को पल्स पोलियो की नियमित खुराक के अलावा पल्स पोलियो अभियान के तहत दी जाने वाली खुराक भी देनी चाहिए. डीआइओ डॉ मिश्रा ने बताया कि यदि भूल वश कोई टीका छुट गया है तो याद आते ही स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता / चिकित्‍सक से सम्‍पर्क कर टीका लगवायें. ये सभी टीके उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र / प्राथमिक स्‍वास्‍थ्य केन्‍द्र / राजकीय चिकित्‍सालयों पर निःशुल्‍क उपलब्‍ध है. टीके तभी पूरी तरह से असरदार होते हैं जब सभी टीकों का पूरा कोर्स सही स‍ही उम्र पर दिया जाएं. मामूली खांसी और सर्दी की अवस्‍था मे भी यह सभी टीके लगवाना सुरक्षित है.

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