कोरोना वायरस से जंग लड़ने के लिए बिहार सरकार सहित तमाम आलाधिकारी पूरी तरह से मुस्तैद व तैयार है.. पुलिस की ओर सर स्तर पर जनता की मदद की जा रही है.. इसमें कोई शक व संदेह नहीं कि बिहार पुलिस इस विपदा की घड़ी में एक योद्धा की तरह मैदान में डटी हुई है…
सूबे के मुखिया व पुलिस के मुखिया सहित तमाम आलाधिकारी जान को जोखिम में डालकर जनता के लिए खड़ी है…. लेकिन इस सबके के बीच चंद जगहों से ऐसी तस्वीरें आ जाती है जो न सिर्फ हैरान करती है,बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती है…और एक सवाल मन में कुंधने लगता है कि आखिर सवाल किसपर उठाया जाए… पुलिस के जिला कप्तान पर या फिर मौजूद पुलिस कर्मी पर ?
तस्वीर सहरसा की है, जहां खुलेआम कानून के रखवाले कानून की छज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं…शहर में लॉक डाउन को सख्ती से पालन कराने के लिए SDPO सदर प्रभाकर तिवारी ,चार प्रशिक्षु DSP समेत तमाम पुलिस बल एक जुटे थे… लेकिन शायद सोशल डिस्टेंसिंग करना मुनासिब नहीं समझा..
.सबसे हैरानी की बात तो ये है कि तस्वीर में खुद SDPO भी सोशल डिस्टेंसिंग मैंटेन करते नजर नहीं आ रहे हैं…ऐसे में सवाल लाजमी है कि आलाधिकारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं कर रहे थे ?…यदि पुलिस नहीं करेगी ,तो फिर जनता से कैसै सख्ती से पालन करवाएगी, ये समझा जा सकता है ?….
ब्यूरो रिपोर्ट, बिहार नाउ