दरभंगा जिला के बिरौल थाना की पुलिस की अजब कारगुजारी उजागर हुई है, ये आरोप मुकेश सहनी का है। 23 मार्च को लॉकडाउन में सड़क पर आवश्यक काम से चल रहे टेंपु चालक को डेढ़ माह से प्रताड़ित किया है।
सहरसा जिले के नाहर निवासी सुशील मुखिया का टेंपु है। बिरौल थाना ने 23 मार्च को टेंपु पकड़ा था।
उस दिन से लेकर 8 मई तक टेंपु चालक से बिरौल पुलिस ने पन्द्रह हजार रुपये की मांग करता रहा। आजिज होकर टेंपु चालक ने वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी को आपबीती सुनाई। सन आफ मल्लाह ने अपने स्तर से इसकी छानबीन की पूरा मामला सामना आ गया। बिरौल पुलिस ने बैक डेट में वाहन जब्ती का सूची जारी कर दिया।
बिरौल के एसडीओ ब्रज किशोर लाल ने इसकी पुष्टि की। 23 मार्च को बिरौल थाना द्वारा जारी किया गया पत्र बिरौल एसडीओ को नहीं मिला।डर्ख
गरीबों को न्याय के बदले कब तक प्रताड़ित किया जाएगा। सुशासन की सरकार की पुलिस पर सरकार का इकबाल समाप्त होता जा रहा है…
वहीं इस मामले पर मुकेश सहनी ने बिहार सरकार व डीजीपी को भी पत्र लिख मामले से अवगत कराते हुए संज्ञान लेने की बात कही है..
वहीं इस मामले में वकील प्रकाश सिंह ने कहा कि घूस देना व लेना दोनों अपराध है..ऐसे में मुकेश सहनी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं ?…
सुभाष शर्मा के साथ राजू सिंह, बिहार नाउ, दरभंगा