नीतीश कुमार के शासनकाल में महिला सशक्तिकरण का मिसाल बना बिहार ! ये बात आज वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री डा.अशोक चौधरी ने कही ।
डा.अशोक चौधरी आज वर्चुअल सम्मेलन के ग्याहरवें दिन दरौंदा, माँझी, मढौरा, सिकटी, कोचाधामन एवं पूर्णियाँ विधानसभा के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे ।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहले महिलाएँ जिनकी आबादी इस प्रदेश में सर्वाधिक है उनको समाज के मुख्य धारा में लाने का काम किया । बिहार राज्य में लड़कियाँ सिर्फ 30 से 33% के आस पास स्कूलों में आती थी और छठे क्लास के बाद स्कूल नहीं जाती थी, नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद लड़कियों के लिए पोशाक और साईकिल योजना की शुरुआत की और यही कारण है कि आज मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने वाले लड़कियों की संख्या 50% हो गयी है ।
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने महिलाओं को राजनीतिक रूप से सबल बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की और आज मुखिया, प्रमुख, जिला-परिषद के पदों पर महिलाएँ काबिज हुई ।
अशोक चौधरी ने कहा कि एक दल इस प्रदेश में है जिसके नेता अपने आपको अल्पसंख्यकों का रहनुमा बनने का दावा करते हैं लेकिन उनके राजपाट में अल्पसंख्यकों के लिए बजट मात्र 3 करोड़ था जिसको माननीय मुख्यमंत्री ने 532 करोड़ तक पहुँचाने का काम किया ।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में किशनगंज में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए जमीन, कृषि संस्थान की स्थापना, पूर्णियाँ में मदरसा का क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना, अल्पसंख्यक बच्चियों के लिए हुनर योजना जैसी कई जनकल्याणकारी काम किये ।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार विकसित राज्य नहीं है लेकिन कोरोना जैसे महामारी में बिहार इस महामारी पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले प्रदेशों में है और इसलिए इस लड़ाई में बिहार माडल की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है । लेकिन सरकार के साथ-साथ हम सभी की जिम्मेदारी है कि WHO और ICMR के द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें और अनावश्यक सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज करें और समाज में इस महामारी के संबंध में जागरुकता फैलायें और ये विश्वास रखें कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम कोरोना पर भी विजय प्राप्त कर लेंगे …