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कुलपतियों की नियुक्ति में बिहार को मिले प्राथमिकता : प्रो विनोद चौधरी

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बिहार में अभी सभी विश्वविद्यालयों को जोड़ दें तो 21 विश्वविद्यालय बिहार के क्षेत्र में आते हैं उसमें मानद एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय भी शामिल है।
पूर्व विधान पार्षद पार्षद प्रो० विनोद कुमार चौधरी ने उपरोक्त जानकारी देते हुए कहा कि वही परंपरागत विश्वविद्यालय संख्या 17 है जिसमें बिहार के बाहर के कुलपति 11 है। इसके अनुपात को आप स्वयं समझ सकते हैं। शिक्षा में परिवर्तन लाने के लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की की सरकार में सिलेक्शन कमिटी के माध्यम से कुलपतियों की नियुक्ति का प्रावधान किया था। लेकिन इस प्रावधान के बाद बिहार के बाहर के लोगों की ही ज्यादा नियुक्ति होने लगी कारण सिलेक्शन कमिटी के ज्यादा मेंबर बिहार से बाहर के होते थे। इन नई नियुक्तियों का क्या प्रभाव पड़ा बिहार के शैक्षणिक जगत पर यह आप सभी जानते हैं। बिहार में कुलपति नियुक्ति का पहले जो प्रावधान था वहीं अब लोगों को अच्छा लग रहा है। बिहार के बाहर से आने वाले लोगों को बिहार का कोई दर्द नहीं होता जिस कारण बिहार के विश्वविद्यालयों में जो स्थिति बनी हुई है उसकी चर्चा यहां करना बेकार होगा। बिहार के सब बुद्धिजीवी इन बातों से अवगत है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने महामहिम राज्यपाल को विश्वविद्यालयों की जिम्मेवारी डाल रखी है और शिक्षा विभाग डायरेक्टर के हवाले है। इस परिस्थिति में शिक्षा एवं शिक्षण व्यवस्था की बेहतरी का अंदाजा मुख्यमंत्री खुद लगा सकते हैं। 4 वर्षों का यूजीसी वेतनमान में बकाया राशि विश्वविद्यालयों को चार-पांच महीने पूर्व हस्तगत कराया गया लेकिन अब तक उसका भुगतान नहीं हुआ। एक माह का वेतन एवं पेंशन सरकार से प्राप्त हो चुका है लेकिन इसका भी भुगतान नहीं हो रहा है। अंततः इन बातों के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
जब एक व्यक्ति को कई विश्वविद्यालयों की जिम्मेवारी मिले तो उसका प्रतिफल आप समझ सकते हैं। कल ही मैंने चर्चा की थी कि बिहार में विद्वानों की कोई कमी नहीं है और यह सभी नेता जानते हैं तो मेरा माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह होगा की 6-7 कुलपतियों की एवं प्रति कुलपतियों नई नियुक्ति अभी होनी है। उसमें बिहार के विद्वानों को मौका दिया जाए तभी बिहार की शिक्षा व्यवस्था एवं कार्य संस्कृति में सुधार होगा। बिहार में विद्वानों की कोई कमी नहीं है और मुख्यमंत्री को स्वयं इस बात का अंदाजा है इसलिए नियुक्ति में बिहार को प्राथमिकता मिले। यह चुनौती बिहार के सभी राजनेताओं के सामने मुंह बाये खड़ी है।।

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