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बिहार में अतिथि शिक्षक राम भरोसे, मार्च माह से नहीं मिला वेतन – पूर्व JDU MLC..

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बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य प्रोफ़ेसर विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि विहार सरकार अतिथि -शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है ।उन्होंने कहा कि-बिहार सरकार ने बीपीएससी द्वारा तय अर्हता के आधार पर स्वीकृत एवं रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की बहाली की जिम्मेवारी बिहार के सभी विश्वविद्यालयों को सौंपी। यह फैसला स्वागत योग्य था ,कारण बिहार के विश्वविद्यालयों में हजारों -हजार शिक्षकों के स्वीकृत पद रिक्त थे ,जिस कारण पठन-पाठन का वातावरण समाप्त हो चुका था और यह फैसला भी उस परिस्थिति में लिया गया जब सरकार की नियुक्ति – एजेंसियों ने शीघ्र बहाली में अपने को असमर्थ बतलाया।
विश्वविद्यालयों ने सेलेक्शन कमिटी के आधार पर स्वीकृत एवं रिक्त पदों पर तुरंत बहाली शुरू कर दी। अतिथि शिक्षकों की बहाली होने से फिर से एक बार कैंपस में रौनक लौटी ,पठन-पाठन शुरू हो गया। सिर्फ़ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में ही साढ़े चार सौ अतिथि -शिक्षकों की बहाली हुई ।25000 मासिक वेतन पर इनकी नियुक्ति हुई। जबकि यूजीसी के नियम से इन्हें 50,000 मासिक वेतन मिलना चाहिए। जो भी हो 25000 मासिक भुगतान इनका शुरू हो गया। लेकिन पता नहीं सरकार की मंशा में एकाएक परिवर्तन क्यों होने लगा और इन्हें 6-7 महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है। बार-बार वेतन के लिए यह अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं, बावजूद इनका कोई सुनने वाला नहीं है। अभी बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि -शिक्षक – संघ द्वारा आंदोलन भी चलाया गया ।उसका भी कोई प्रतिफल नहीं निकला। अब अतिथि -शिक्षकों के समक्ष परिवार चलाने की समस्या उत्पन्न हो गई है और अधिकांश अतिथि शिक्षक बिहार के बाहर के रहने वाले हैं आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार में घर लेकर परिवार चलाना कितना कठिन होता होगा और उसमें भी 6 माह से वेतन नहीं मिला हो। संघ के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र कुमार ठाकुर के अनुसार जिस प्रकार 1982-1986 में अस्थाई शिक्षकों का नियमितीकरण किया गया था उसी तरह पुनः अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण होना चाहिए । इन अतिथि- शिक्षकों की पहली मांग नियमित वेतन भुगतान की है तथा दूसरी मांग स्थायीकरण की है। इनकी मांगे अपनी जगह पर लेकिन जब तक इनसे काम ले लिया गया है तब तक इनका वेतन भुगतान करना ही होगा यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है। मैं बिहार सरकार से मांग करता हूं कि इन अतिथि शिक्षकों के बकाए वेतन का तुरंत भुगतान किया जाए और भविष्य में अन्य शिक्षकों की भाँति इनका भी नियमित भुगतान हो साथ ही यूजीसी के नियमानुसार इन्हें भी 50,000 मासिक वेतन मिले।

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