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बिहार के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही आई सामने, कैंसर पीड़ित मरीज को दी दूसरे मरीज की जांच रिपोर्ट.. डॉक्टर ने दूसरे के जांच रिपोर्ट पर दे डाली ब्रेन सर्जरी की सलाह व दवाई, जिम्मेदार कौन ?…

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कोरोना काल के बीच जहां पूरे देश सहित बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था हाई अलर्ट मोड पर है.. बावजूद बिहार के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल से आ रही खबरें सूबे के पूरे स्वास्थ्य सिस्टम को एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है…. ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

सरकारी तो सरकारी, अब प्राइवेट अस्पताल भी अपनी मनमानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य पर ध्यान ना दे कर वह सिर्फ पैसा उगाही का एकमात्र जरिया बन गए हैं। आज से ठीक 2 दिन पहले पटना के सबसे बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल पारस से एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें यह स्पष्ट दिखाई दे रहा था की कोरोना वायरस से जो मरीज पीड़ित नहीं भी हैं उन्हें पीड़ित घोषित किया जा रहा था जिसको लेकर वहां मरीजों के परिजनों ने जमकर हंगामा किया।
एक बार फिर ताजा मामला पटना के सवेरा हॉस्पिटल से सामने आया है।

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बिहार की राजधानी पटना के शास्त्री नगर के रहने वाले अविनाश कुमार की कहानी भी प्राइवेट हॉस्पिटल की स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति सजगता की पोल खोलती हुई नजर आती है। 41 वर्षीय अविनाश कुमार अपने घर में कमाने वाले इकलौते हैं। तीन व्यक्तियों की इस परिवार में अविनाश कुमार किसी तरह से जीवन यापन करते हैं। मगर इन दिनों अविनाश कुमार की परेशानियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं। मुंह के दाने से शुरू हुई परेशानी अविनाश कुमार को मुंह का कैंसर होने का संदेह पैदा करती थी ।

इसी बीच अविनाश कुमार अपने कुछ दोस्तों के सलाह पर पटना के प्राइवेट और नामी-गिरामी कैंसर हॉस्पिटल सवेरा पहुंचे जहां उनकी इलाज की शुरुआत हुई। इलाज के दौरान उनके कई चेक अप किए गए मगर कुछ की रिपोर्ट खुद अविनाश कुमार के नाम पर आई तो कुछ रिपोर्टें मोहम्मद खुदउस आलम की इन्हें सौंप दी गई। सीटी स्कैन की रिपोर्ट उसी हॉस्पिटल में की गई जहां इनका इलाज चल रहा था डॉक्टरों ने भी उसी रिपोर्ट को सही माना जिसकी रिपोर्ट 50 वर्षीय खुदउस आलम के नाम पर आई थी ।

डॉक्टरों ने सीटी स्कैन की खुद उस आलम की रिपोर्ट को देखते हुए अविनाश कुमार का ट्रीटमेंट शुरू कर दिया और ऑपरेशन की बात कर दी इसके बाद फिर क्या था अविनाश कुमार ने अपने कुछ परिचितों कोई रिपोर्ट दिखाई तो पता चला कि यह रिपोर्ट उनका है ही नहीं जिसके नाम पर उनके ऑपरेशन की बात कही जा रही थी।

बिहार में सरकार के लाखों दावों के बीच अविनाश कुमार की कहानी से तो स्पष्ट है कि निजी हो या सरकारी अस्पताल सब पैसा उगाही का एक मात्र जरिया भर है..

महीप राज, बिहार नाउ, पटना

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