बेगूसराय के मंडल कारा में बंद एक विचाराधीन कैदी की मौत ना सिर्फ जेल प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ी कर रही है बल्कि अस्पताल प्रशासन पर भी लापरवाही का आरोप लग रहा है ।
खास बात यह है कि उक्त मामले में एक तरफ जहां मृतक के परिजनों का आरोप है कि बीमार होने के बावजूद मृतक मनोज यादव को मौत के बाद सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया गया तो वहीं मंडल कारा के पदाधिकारी इलाज के क्रम में मौत की बात कर रहे हैं । जबकि अस्पताल प्रशासन इस मामले में कुछ भी स्पष्ट बोलने से इंकार कर रही है
दरअसल सदर प्रखंड के केशाबे निवासी मनोज यादव पिछले 4 महीने से आर्म्स एक्ट मामले में बेगूसराय मंडल कारा में बंद थे । मंडल कारा प्रशासन के अनुसार मनोज यादव अस्थमा रोग से पीड़ित थे और लगातार इनका इलाज चल रहा था । पिछले 4 दिन पहले भी मनोज यादव को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से कल उन्हें छुट्टी दे दी गई थी । लेकिन जैसे ही वह मंडल कारा पहुंचे आज उनकी हालत बिगड़ने लगी । कारा प्रशासन के द्वारा उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया जहां इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई।
देखा जाए तो इस मामले में कहीं न कहीं प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है क्योंकि अगर मनोज यादव की हालत ठीक नहीं थी तो फिर उन्हें सदर अस्पताल से छुट्टी कैसे दी गई और अगर सदर अस्पताल से छुट्टी दी गई और जब आज मनोज यादव की हालत और बिगड़ने लगी तो फिर समय से उन्हें अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं कराया गया।
धनंजय झा, बिहार नाउ, बेगूसराय