नीतीश सरकार के बिहार विशेष सशस्त्र अधिनियम के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मोर्चा खोल दिया है। यादव ने कहा कि किसी भी हाल में बिहार सरकार को इस काला कानून को वापस करना पड़ेगा या इसमें संसोधन करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने 26 मार्च को बिहार बंद का ऐलान किया है।
नेता प्रतिपक्ष यादव ने कहा कि सदन में विधायकों के साथ हुए अत्याचार को लेकर 26 मार्च को महागठबंधन ने बिहार बंद का एलान किया है और पार्टी इस दिन काला दिवस मनाएगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के बाहर धरना देने की परंपरा पहले भी रही है। उस वक्त नीतीश कुमार जी भी सदन के सदस्य थे और कर्पूरी ठाकुर जी तीन दिन तक धरना पर बैठे रहे थे। लेकिन विधानसभा में हुई घटना पर नीतीश जी सदन में खेद प्रकट करने की जगह अधिकारियों को क्लीन चिट देने में जुटे हैं।
नेता प्रतिपक्ष यादव ने बिहार पुलिस को ” जदयू पुलिस ” की संज्ञा देते हुए कहा कि जिस तरह से नीतीश कुमार ने लोकतंत्र की हत्या कराने का काम किया है उसके लिए उन्हें माफी मांगना पड़ेगा। उन्होंने अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि नीतीश जी खेद प्रकट करने की जगह आगबबूला होकर धमकी देने का काम कर रहे हैं , जो अशोभनीय है। उन्होंने नीतीश कुमार के द्वारा सदन में माले के लोगों को गलती से जीत कर आने की बात कहे जाने की तीब्र निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र का अपमान है। श्री यादव ने बिहार विशेष सशस्त्र बिल को बंदूक की नोंक पर पास कराये जाने की बात कही।
नेता प्रतिपक्ष यादव ने कहा कि मेरे पास ऐसे 200 फुटेज हैं जिसमें पुलिसवाले विधायकों की पिटाई कर रहे हैं। उस फुटेज में कई ऐसे पुलिसवाले और अधिकारी हैं जो नीतीश जी के स्वजातीय रहने के साथ अभी बर्खास्त हैं। वह सारा फुटेज मेरे पास रखा हुआ है। उन्होंने इन सबूतों को जनता की अदालत में ले जाने के लिए 26 मार्च को ” बिहार बंद ” का आह्वान किया है।
यादव ने लोकतंत्र की रक्षा के साथ सदन की गरिमा को बनाये रखने के लिए हर तबके से ” बिहार बंद ” को सफल बनाने की अपील की।