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महाविद्यालय के सचिव पर विशेश्वर दयाल के परिजन ने लगाया गंभीर आरोप…

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छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा से सम्बध्द महाविद्यालय विशेश्वर दयाल सिन्हा मेमोरियल महिला कॉलेज छपरा के सचिव बलराम प्रसाद राय पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके परिजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सचिव ने महाविद्यालय के जमीन को भी बेच डाला है। मंगलवार के दिन स्वर्गीय विशेश्वर दयाल सिन्हा के पौत्र सेवानिवृत्त डीपीओ प्रभात कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि निगरानी द्वारा नामित और चार्जशीटेड अभियुक्त ने समस्त विधि व्यवस्था का माखौल उड़ाते हुए एक बार फिर से षड्यंत्र रच कर जेपी विश्वविद्यालय के तमाम अधिकारियों को अंधकार में रखते हुए नाजायज लाभ उठाने के लिए खुद को विशेषण दयाल सिंहा मेमोरियल महिला महाविद्यालय का सचिव नियुक्त करा लिया है। जो हर तरह से गलत, गैरकानूनी और उच्च शिक्षा के मंदिर के लिए शर्मनाक है।

श्री सिंह ने कहा कि उनके दादा छपरा के प्रख्यात अधिवक्ता स्वर्गीय विशेश्वर दयाल सिन्हा की स्मृति में उनके नाम पर महिलाओं की गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा के लिए परिजनों द्वारा अपनी जमीन में विशेषण दयाल सिंहा मेमोरियल महिला महाविद्यालय की स्थापना की गई ।जिसका संचालन इनके चाचा स्वर्गीय कमलाकांत सिन्हा बतौर सचिव करते रहे और महाविद्यालय विद्वान शिक्षकों के समर्पित सेवा भाव के कारण अरसे से महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता रहा । कालांतर में इनके चाचा कमलाकांत सिन्हा का देहांत हो गया और खुद सरकारी सेवा में विभिन्न पदों पर पदस्थापित रहे जिन सब का लाभ उठाकर परिवार से बाहरी व्यक्ति बलराम प्रसाद राय शासी निकाय के सचिव बन बैठे।
प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि बलराम प्रसाद राय वगैरह द्वारा कारित गंभीर अनियमितता और गावन के मामले में उच्च न्यायालय पटना द्वारा सिविल रिट संख्या 1593 / 2016 में पारित आदेश के आलोक में बलराम प्रसाद राय , तत्कालीन प्राचार्या, जेपीयू के तत्कालीन कुलपति और कुलसचिव के विरुद्ध निगरानी थाना कांड संख्या 105 / 16 दर्ज कर अनुसंधान की गई तथा रिट संख्या 1593 /16 में उक्त मामलों की मॉनिटरिंग उच्च न्यायालय द्वारा की जा रही है वहीं उच्च न्यायालय पटना द्वारा क्रिमिनल मिसलेनियस संख्या 55 06 / 2017 में पारित आदेश के अनुसार 21 मार्च 2017 से तत्कालीन कुलपति को ₹300000 जमा करने की कड़ी शर्त पर अग्रिम जमानत प्रदान की गई।
श्री सिंह ने कहा कि विस्तृत उच्च स्तरीय जांच के बाद बलिराम प्रसाद राय के खिलाफ यथेष्ट सबूत मिलने के आधार पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारी द्वारा उनके विरुद्ध सभी आरोपों को सत्य पाते हुए आरोप पत्र संख्या 30 / 28 26 फरवरी 2018 को भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 भी समर्पित किया गया । प्रभात कुमार ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए बताया कि इन सबके बावजूद उक्त नामित और चार्जशीटेड अभियुक्त ने जेपीयू के तमाम अधिकारियों को धोखे में डाल कर जे पी यू के पत्रांक 4053 आर 5 दिसंबर 2020 द्वारा खुद को शासी निकाय के सचिव घोषित करा लिया गया।

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*शपथ पत्र के साथ इनके सचिव बनने का किया गया है विरोध*

विशेश्वर दयाल के पौत्र प्रभात कुमार सिंह ने शपथ पत्र के साथ जेपीयू के कुलपति को उक्त सचिव के कारगुजारियों को उजागर करते हुए एक आवेदन दिया गया है।

*विश्वविद्यालय के पत्र में सचिव के नाम के पहले जोड़ा गया है अभियुक्त*

गौरतलब है कि प्रभात कुमार सिंह द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा 24 फरवरी 2021 को जांच समिति के गठन कर प्रभात कुमार सिंह को जो पत्र भेजा गया है उस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि विशेश्वर दयाल सिंहा मेमोरियल महिला कॉलेज छपरा के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के संख्या 105 /16 के अभियुक्त श्री बलराम प्रसाद राय के गैरकानूनी तथा अनाधिकृत कृत्यों से संबंधित आवेदन पर विचार करते हुए विशेश्वर दयाल सिंहा मेमोरियल महिला कालेज छपरा के शासी निकाय में उक्त व्यक्ति की जांच करने हेतु 3 सदस्य समिति का गठन किया गया है जिसमें समिति के संयोजक डॉ एके झा को तथा सदस्य डॉ सैयद रजा एवं डॉ शेखर कुमार को बनाया गया है ध्यान देने की बात है कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी पत्र में भी सचिव बलराम प्रसाद राय के नाम के पहले अभियुक्त शब्द को जोड़ा गया है।
*क्या कहते हैं प्रभात कुमार*

इस बाबत विशेश्वर दयाल सिन्हा के पौत्र प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि उक्त सचिव के द्वारा हमारे पूर्वजों के द्वारा दी गई महाविद्यालय के लिए दान की जमीन के कुछ हिस्से को बेच डाला गया है जबकि इस बात की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को भी नहीं है कि आखिर इस महाविद्यालय का जमीन कहां है। उन्होंने यह भी बताया कि जब हमने आवेदन दिया तो इसके लिए विश्वविद्यालय के द्वारा एक कमिटी का गठन कर दिया गया जिसमें मुझे लगता है कि यह कमेटी मामले का लीपापोती कर डालेगी। क्योंकि जिस दिन मैंने आवेदन लेकर गया था उस दिन कुलपति के द्वारा यह करके लौटा दिया गया कि आप फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के शपथपत्र के साथ आवेदन दीजिए तथा उसी दिन अफरा-तफरी के माहौल में उक्त दागी व्यक्ति को महाविद्यालय का सचिव नियुक्त कर दिया गया।

*क्या कहते हैं अधिकारी*

इस बाबत जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर फारूक अली ने बताया कि प्रभात कुमार सिंह के आवेदन के आलोक में 3 सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया गया है। जिसमें संयोजक डॉ एके झा तथा सदस्य में डॉ सैयद रजा एवं डॉ शेखर कुमार को शामिल किया गया है जांच आने का इंतजार किया जा रहा है जांच आते ही उचित कार्रवाई की जाएगी।

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