बिहार के स्वास्थ मंत्री तेजश्वी यादव बेशक अपने विभाग को चुस्त दुरुस्त रखने की कवायद में जुटे दिख रहे हो, लेकिन. स्वास्थ महकमे को शायद इसकी परवाह नहीं है ….
हाजीपुर में सरकारी अस्पताल में संवेदनहीनता और लापरवाही की तस्वीर को देख तो कम से कम यही माना जाएगा ….मासूम बच्ची के शव को लेकर एक पिता घंटो अस्पताल में चक्कर काटता रहा , लेकिन सरकारी तंत्र से एक अदद शव वाहन उपलब्ध न हो सका ….
मासूम बच्ची के शव को कंधे पर टांग पिता अस्पताल के एक कोने से दूसरे कोने तक एक अदद एम्बुलेंस या गाडी के लिए मदद मांगता रहा , लेकिन स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों ने बच्चे की मौत के बाद अपना पल्ला झाड़ लिया और पिता को प्राइवेट एम्बुलेंस से चले जाने को कह दिया ….
संवेदनहीनता की इन तस्वीरो को लेकर जब जिले के सिविल सर्जन से सवाल हुआ तो बड़े साहब पहले तो चौंके .. लेकिन फिर उसी लापरवाह सिस्टम के नदाज में कहते दिखे की .. हमें तो पता नहीं … हम तो अपने ऑफिस में बैठे ही रहते है .. किसी ने हमें बताया नहीं … चलो दिलवा देते है गाडी ….
साहब … सवाल AMBULANCE या MORTURY वाली एक गाडी का नहीं …. सवाल पूरी तरह से बेपटरी हो चुके स्वास्थ महकमे के उस गाडी की है जो ना केवल लापरवाह हो चुका है , बल्कि संवेदना खो चुका है …. तभी तो कंधे पर अपनी बेटी की लाश लेकर घण्टो दौड़ते पिता को देख जंहा लोगो की भीड़ नजर आ रही थी …. सैकड़ो हजारो मुलाजिमो वाले स्वास्थ महकमे को एक पिता की बेबसी नजर नहीं आई ….
दरसअल राजापाकर थाना क्षेत्र के बहुआरा गांव के रहने वाले अभिषेक सिंह के 8 वर्षीय मासूम बच्ची को, घर में टीवी देखने के दौरान जहरीले सांप काट लेने के बाद इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे परिजन, अस्पताल द्वारा मासूम बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया … जिसके बाद संवेदनहीनता की ये तस्वीर सामने आई …