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हाईकोर्ट ने सहरसा एम्स के मामलों की सुनवाई को‌ 9 मई तक टाला …. राज्य सरकार ने कोर्ट को अभी तक नहीं दिया भूमि संबंधि ब्योरा…

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सहरसा से बी एन सिंह पप्पन, बिहार नाउ

पटना हाईकोर्ट में बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 9मई,2023 तक टली.. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है…

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17अप्रैल,2023 तक मोहलत दी थी।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से भूमि सम्बन्धी ब्यौरा आज भी नहीं पेश किया गया।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई।बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।कोर्ट को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है।

कोर्ट को बताया गया कि 2017 में ही सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी।कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है।गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है।

इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है।कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी।

यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया।कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है।

कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है। याचिकाकर्ता विनोद कुमार झा एवं प्रवीण आनन्द ने कहा कि जब मामला उच्च न्यायालय में है तो शोभन दरभंगा में केविनेट डिसीजन के पूर्व ही जब जनहित याचिका दायर किया गया है तो सरकार को आनन फानन में मिट्टी भराई हेतु जनता का पैसा 300 करोड़ से अधिक लगाना कहीं से न्यायोचित नहीं है। जबकि हमारे सहरसा के भूमि लगभग समतल हीं है । सहरसा की भूमि एम्स मानदंड को पूरा करती है। हमें न्यायालय पर पूर्ण विश्वास है सहरसा कोशी की जनता को अवश्य न्याय मिलेगा

इस मामलें पर अगली सुनवाई 9 मई,2023 के बाद की जाएगी।

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