देश को झकझोर देने वाली ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई है… और तकरीबन 1000 से अधिक घायल हैं.. घायलों का इलाज ओडिशा के कई अस्पतालों चल रहा है.. केंद्र सरकार की ओर से घायलों की समुचित और बेहतर इलाज के लिए AIIMS में भी प्रबंध करने का दावा किया गया है…
इस दुर्घटना में बिहार के भी 10 लोगों की मौत हो गई है… 16 जिलों के तकरीबन 46 लोग अभी लापता बताए जा रहे हैं.. और कई लोग घायल हैं… .. इसी सिलसिले में दुर्घटना में बिहार के पीड़ित व घायलों की मदद के लिए बिहार सरकार ने भी पहल की .. बिहार सरकार की ओर से 66 यात्रियों को बिहार यानी उनके गणतव्य स्थान तक लाने का प्रबंध किया गया है … साथ ही दुर्घटनास्थल पर 4 सदस्यीय टीम भेज कर मौके पर मौजूद बिहार के पीड़ितों को हर संभव मदद करने का दावा किया जा रहा है…
लेकिन बिहार सरकार के तमाम प्रयासों और दावों के बीच जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.. ये हम नहीं, दुर्घटनास्थल पर मौजूद एक सामाजिक कार्यकर्ता शाहिल हक ने बिहार और झारखंड सरकार के उदासीन रवैये को लेकर सवाल खड़े किए हैं…
बालासोर के फकीर चंद हॉस्पिटल में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता शाहिल हक ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि दुर्घटना में पीड़ित व घायलों के लिए तमाम राज्यों की सरकार अपने अपने स्तर से बेहतर सुविधा व मदद मुहैया कराई है और वापस अपने राज्य ले गई है .. लेकिन बिहार और झारखंड सरकार की इस मामले काफी उदासीन रवैये सामने आए हैं…
शाहिल हक ने बताया कि जिस अस्पताल में अभी मैं मौजूद हूं, उसमें कई घायल बिहार और झारखंड के हैं… और वो लोग अपने राज्य, अपने गांव या अपने इलाके से नजदीक किसी अस्पताल में जाना चाहते हैं.. लेकिन बिहार और झारखंड के दावों के बीच जमीन पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है.. हक ने बताया कि हमारे जानकारी के मुताबिक, बिहार सरकार के कोई भी प्रतिनिधि अभी तक इस अस्पताल में बिहार के घायलों से मिलने नहीं पहुंचे हैं…
सामाजिक कार्यकर्ता शाहिल हक ने बिहार और झारखंड सरकार से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द मौके पर आकर अपने लोगों को जरुरत के हिसाब से ले जाएं …