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आमने-सामने राजभवन और के के पाठक !… VC को पत्र जारी, कुलाधिपति सर्वोपरि, केके पाठक का आदेश मानने की जरूरत नहीं..

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पटना :- उच्च शिक्षा के मुद्दे पर अब बिहार में राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने आ गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक समेत अन्य अधिकारियों के आदेश के बजाय राजभवन के आदेश को हर हाल में लागू करने का पत्र राजभवन द्वारा जारी किया गया है.

राज्यपाल सह कुलाधपति के प्रधान सचिव राबर्ट . एल. चोंग्थू ने राज्य के सभी कुलपति को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ अधिकारियों की तरफ से सार्वजनिक रूप से भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है और विश्वविद्यालय प्रशासन की स्वायत्ता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. इसलिए कुलपति समेत अन्य विधायी अधिकारियों को आदेशित किया जाता है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश के पालन को प्राथमिकता दी जाए.

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किसी भी मामले मे उनका आदेश ही सर्वोच्च है. अगर राजभवन को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विश्वविद्यालय को निर्देश दिया जाता है, तो यह बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के प्रावधानों का उल्लंघन है. इसलिए हर हाल में राजभवन द्वारा जारी आदेश का पालन किया जाए.

बताते चले कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के उस आदेश के बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच विवाद बढ़ा है जिसमें केके पाठक ने लापरवाही के आरोप में बिहार विवि के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने और अगले आदेश तक वित्तीय अधिकारी स्थागित करने का आदेश जारी किया था. केके पाठक के इस आदेश से नाराज राजभवन ने पत्र जारी करके संबंधित अधिकारियों को कहा था कि कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने का आदेश नियम के खिलाफ है.

अपर मुख्य सचिव को ये अधिकार नहीं है. इस मुद्दे के बाद कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन के बाद शिक्षा विभाग ने विज्ञापन जारी कर दिया था जिसके बाद राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने आ गया था.

बाद में सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर चर्चा के बाद शिक्षा विभाग द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर जारी विज्ञापन को वापस ले लिया गया था. इसके बाद लगा था कि शायद राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच खीचतान खत्म हो जाएगी,

पर के के पाठक का उच्च शिक्षा को लेकर आदेश लगातार निकल रहा है, जिससे नाराज कुलाधपति के प्रधान सचिव के द्वारा केके पाठक का नाम लिए बिना कुलपतियों को ए री किया गया है.

वहीं दूसरी ओर सरकार और शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा विभाग में कुलाधिपति के एकाधिकार को कम करने की तैयारी मे वैधानिक तरीके से जुट गई है. बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद के नियमावली को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहें हैं.

इस परिषद का विस्तार करते हुए कई कमिटियों का गठन किया जा रहा है जिसमें अपर मुख्य सचिव को पदेन अध्यक्ष बनाया जा रहा है, जबकि अभी तक उच्च शिक्षा परिषद में अपर मुख्य सचिव की किसी तरह की भूमिका नहीं रहती थी. जिन नई कमिटियों का गठन करने की बात कही जा रही है,

उसमें एक्जीक्यूटिव कमिटि, स्टैडिंग कमिटि, सेलेक्शन कमिटि और एकेडमिक कमिटि है. इन सभी कमिटि के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव होगें जबकि सदस्य के रूप में अलग- अलग अधिकारी औक कुलपति होंगे.

इस कमिटि के प्रभावी होने के बाद उच्च शिक्षा से जुड़े तमाम पहलुओं पर निर्णय लेने वाली बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद सबसे मजबूत इकाई के रूप में सामने आयेगी. संभव है कि शिक्षा विभाग के इस कदम के बाद राजभवन से टकराहट और ज्यादा बढ़ सकती है.

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