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मनोज झा के ठाकुरों वाले कविता पर‌ बिहार में जबरदस्त उबाल !… RJD विधायक के बाद वरिष्ठ वकील मणिभूषण सेंगर ने दिया करारा जवाब… राजपूत समाज को एकत्र होकर विरोध करने की अपील की…

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बिहार में ब्राह्मण बनाम ठाकुर विवाद को लेकर आरजेडी विधायक चेतन आनंद के बाद पटना हाईकोर्ट कोर्ट के वरिष्ठ वकील व समाजसेवी मणिभूषण सेंगर ने राज्यसभा सांसद मनोज झा को जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि आपने संसद में अपने अंदर के ‘ठाकुर’ को मारने की बात की थी ना, अब हमारी भी सुनिए- ठाकुर होना आसान नहीं होता !

वरिष्ठ वकील मणिभूषण सेंगर ने मनोज झा के ठाकुर वाले कविता का विरोध करते हुए जबरदस्त जवाब दिया है …मणिभूषण सेंगर ने कहा है कि राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा जी ने एक कविता के जरिए जो टिप्पणी राजपूत (ठाकुरों) पर की है वह स्वीकार के लायक नहीं l मैं उनकी टिप्पणी का घोर विरोध करता हूं l किसी एक खास जाति ठाकुर (राजपूत)को हर समय टारगेट करना समाजवाद नहीं कहलाता…

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मणिभूषण सेंगर ने कहा कि आश्चर्य है मुझे ठाकुर (राजपूत) और कहे तो मेरे समाज के उन ठेकेदारों पर, जो उस समय वहां बैठे हुए थे lऔर इसे सुनकर बर्दाश्त कर रहे थे l अपने समाज के साथ, जिस समाज के नाम पर आप अपनी यह पहचान बनाए हैं lइस समाज के साथ ऐसी दोगलापानी ठाकुर और राजपूत समाज के ठेकेदारों में तो नहीं हो सकती l मुझे सभी ठाकुर (राजपूत) समाज के तथाकथित ठेकेदारों को ठाकुर कहने में शर्म आ रही है l

उन्होंने कहा कि मैं मनोज झा जी से ज्यादा अपने समाज अर्थात ठाकुर (राजपूत )समाज के तथाकथित नेताओं का विरोध करता हूं l जिन्होंने आज हमें ऐसे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया वह भी अपने निजी हित के लिए l कि हम अपने समाज की ,ठाकुर (राजपूत) समाज जो कि ठाकुर (राजपूत) के लिए मां से काम नहीं है l और ठाकुर (राजपूत )के लिए उनकी अस्मिता है और उनके ऊपर कटाक्ष हम इन स्वार्थी ठेकेदारों के कारण खुलेआम सुन रहे हैं इन सभी हमारे समाज के तथाकथित ठेकेदारों को मुंह काला करके समाज से निकलने की आवश्यकता ही नहीं अत्यंत आवश्यकता है l

साथ ही साथ मनोज झा जी को भी याद रहे कि उन्होंने उस समाज पर कटाक्ष किया है l जिस अकेले समाज ने सदियों के इतिहास से लेकर वर्तमान के समय में भी ब्राह्मणों को संरक्षण एवं ब्राह्मणों को उचित मान सम्मान दिया है l और जो आज भी ब्राह्मण समाज को इतना ही नहीं ब्राह्मण समाज के 6 महीने के बच्चे को भी पूजनीय मानता है lनहीं तो सारे लोग जानते हैं की बाकी लोग ब्राह्मण की इज्जत कितनी करते हैं l

गठबंधन में शामिल सभी तथा कथित ठाकुर (राजपूत) नेता जो हर वर्ष राजपूत महासभा के नाम पर अपनी राजनीति चमकाते हैं l मनोज झा जी के इस बयान पर चुप क्यों है ? अब (राजपूत) ठाकुरों की प्रतिष्ठा और अस्मिता उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं है ?

वरिष्ठ वकील मणिभूषण सेंगर ने सभी राजपूतों (ठाकुरों) को एकत्रित होने की अपील की है साथ ही कहा कि मनोज झा जी द्वारा ठाकुरों पर संसद में किए गए टिप्पणी का शांतिपूर्ण दमदार विरोध करें …

अब समय आ गया है कि हम अपनी और अपने समाज की अस्मिता एवं इतिहास की रक्षा के लिए शांतिपूर्ण और विधिवत तरीके से अपनी एकता और ताकत का परिचय दें l

दरअसल, ताजा विवाद के पीछे की वजह पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा की टिप्पणी है. ये टिप्पणी मनोज ने महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में की थी. मनोज झा ने ओम प्रकाश वाल्मीकि की कविता पढ़ते हुए ठाकुरों क जिक्र किया था. मनोज झा ने कविता पढ़ी थी कि

‘चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का

भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का,

खेत ठाकुर का बैल ठाकुर का हल ठाकुर का,

हल की मूठ पर हथेली अपनी, फसल ठाकुर की कुआं ठाकुर का,

पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के,

गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या?

वो ठाकुर मैं भी हूं, वो ठाकुर संसद में है वो ठाकुर विश्वविद्यालयों में है वो ठाकुर विधायिका को कंट्रोल करता है इस ठाकुर को मारो, जो हमारे अंदर है.’

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