बी एन सिंह पप्पन, कोसी ब्यूरो हेड, बिहार नाउ
सहरसा : पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट ने दो साल पुराने एक मामले में बाइज्जत बरी कर दिया है। पूर्व सांसद आनंद मोहन पर जेल में रहने के दौरान जेल मैनुअल के उल्लंघन का आरोप था।
जेल में छापेमारी के दौरान उनके पास से 4 मोबाइल बरामद करने का दावा पुलिस ने किया था। पूर्व सांसद के अधिवक्ता अरुण कुमार सिंह ने बरी होने की जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले को लेकर पूर्व सांसद के विरोधी अक्सर सवाल उठाते थे। इसी मामले को लेकर उनकी जेल से रिहाई पर भी सवाल किया जाता था।
*बता दें कि आनंद मोहन को राजद सुप्रीमो लालू यादव का करीबी माना जाता है। जेल से आनंद मोहन की रिहाई को लेकर काफी सियासी बवाल मचा था। भाजपा ने इसे लेकर नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला था। इसके बाद हाल ही में आनंद मोहन ‘ठाकुर विवाद’ को लेकर चर्चा में आए थे। उन्होंने राजद सांसद मनोज झा के संसद में कविता पढ़ने को लेकर हमला बोलते हुए टिप्पणी की थी।
मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बताया कि जेल में रात के समय में वह अपने रूम में थे उसी समय अचानक सहरसा जेल में जांच टीम के द्वारा छापेमारी की गई. छापेमारी के क्रम में चार मोबाइल बरामद होने की जानकारी दी गई. यह मोबाइल पूर्व सांसद आनंद मोहन के पास से बरामद होने की सूचना जांच टीम द्वारा दिया गया. इसके बाद यह मामला कोर्ट में चला गया. वहीं, बुधवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन की पेशी थी जहां इस मामले में आनंद मोहन को बेल मिली.
आनंद ने आक्रामक ढंग से मीडिया के सामने कहा था कि ठाकुरों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, आनंद मोहन इस टिप्पणी पर आई लालू यादव की प्रतिक्रिया के बाद बैकफुट पर चले गए थे।
बीते रोज ही आनंद मोहन ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि लालू यादव हमारे बड़े भाई जैसे हैं। वह कुछ कहते हैं तो हम जवाब नहीं देते। उन्होंने यह भी कहा कि वह लालू यादव के मिशन और विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं।
बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में मुजफ्फरपुर के खोबरा में हत्या हो गई थी. 2007 में निचली अदालत ने इस मामले में आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में पटना हाई कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था. लेकिन 27 अप्रैल को उन्हें 14 साल जेल में बिताने के आधार पर रिहा कर दिया गया है.