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प्रभु राम-जानकी की प्रथम मिलन स्थली में प्राणप्रतिष्ठा के पूर्व संध्या पर जलाए गये 5100 दीप, प्राणप्रतिष्ठा के दिन भी मनाया जाएगा दीपोत्सव…

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मधुबनी:* माता जानकी और प्रभु श्री राम की प्रथम मिलन स्थली में प्राणप्रतिष्ठा के पूर्व संध्या पर 5100 दीप जलाए गये। हरलाखी प्रखंड के सभी गांवों में रविवार शाम को प्राणप्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर दीपोत्सव मनाई गई।

विश्वामित्र आश्रम विशौल, कल्याणेश्वर महादेव स्थान, धरोहरनाथ महादेव मंदिर, मनोकामना मंदिर कमतौल, श्रीराम मंदिर सोठगांव, कलना, कौआहा, कसेरा सहित सभी मंदिरों में भी दीपोत्सव कार्यक्रम हुआ। दीपोत्सव से पूर्व रविवार से ही मंदिरों में पूजा पाठ, अखंड रामायण पाठ, नवाह किर्तन शुरू है।

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स्थानीय ग्रामीण रंजित कुमार के अनुसार अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा को लेकर प्रभु श्रीराम एवं माता जानकी की प्रथम मिलन स्थली पौराणिक बागतड़ाग में रविवार की शाम ग्रामीणों के द्वारा 5100 दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। साथ ही सोमवार को प्राणप्रतिष्ठा के दिन भी दीपोत्सव मनाया जायेगा। यह स्थान त्रेता युग से राजा जनक की पुष्पवाटिका रही है। इस समय अयोध्या से लेकर मिथिला तक त्रेता युग का अहसास हो रहा है।

प्राणप्रतिष्ठा को लेकर हरलाखी वासियों की उत्साह चरम पर है। प्रखंड के सभी गांवों में आज दीपोत्सव मनाई गई। विश्वामित्र आश्रम विशौल, कल्याणेश्वर महादेव स्थान, धरोहरनाथ महादेव मंदिर, मनोकामना मंदिर कमतौल, श्रीराम मंदिर सोठगांव, कलना, कौआहा, कसेरा सहित सभी मंदिरों में भी दीपोत्सव कार्यक्रम हुआ। दीपोत्सव से पूर्व रविवार से ही मंदिरों में पूजा पाठ, अखंड रामायण पाठ, नवाह किर्तन शुरू है।

त्रेतायुग के राजा जनक का राज्य काफी विस्तारित था। उनकी राजधानी जनकपुर में थी। मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब विशौल से 10 किलोमीटर पश्चिम माता सीता फूल लोढ़ने फुलवारी गिरिजा स्थान नित्य जाया करती थीं। हरलाखी प्रखंड स्थित यह जगह वर्तमान में फुलहर नाम से प्रसिद्ध है।

त्रेतायुग में फुलहर गांव स्थित माता गिरिजा मंदिर एवं पुष्पवाटिका का माहात्म्य यह है कि यहीं पर जनक नंदिनी किशोरी और प्रभु श्री राम का प्रथम मिलन हुआ था। प्राचीन ग्रंथ रामचरितमानस के अनुसार माता जानकी प्रतिदिन बागतड़ाग पुष्पवाटिका में फूल तोड़कर माता गिरिजा (पार्वती) की पूजा करती थीं।

रामचरितमानस के अनुसार माता सुनयना ने राजकुमारी सीता को देवी गिरिजा की पूजा के लिए इसी जगह भेजा था। ऐसी मान्यता है की जनक नंदिनी को माता गिरिजा से उनको हर मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिला था। जनकपुर के चारों दिशाओं में चार शिव मंदिर थे। पूरब में विशौल, पश्चिम में धनुषा, उत्तर में शिवजनक और दक्षिण में गिरिजा- शिव मंदिर था। ये चारों मंदिर आज भी है।

*राम का घर बस रहा है मतलब माता जानकी का घर बस रहा है: स्थानीय ग्रामीण*

स्थानीय ग्रामीण रमेश कुमार गिरी के मुताबिक 500 वर्षों के संघर्ष और बलिदान के बाद राम लला की प्राणप्रतिष्ठा हो रही है। मिथिला के लिए यह और भी गौरव की बात है क्योंकि माता जानकी यहां की बेटी हैं और श्री राम मिथिला के दामाद हैं। जब अयोध्यावासी श्री राम का घर बस रहा है उसका मतलब माता जानकी का घर बस रहा है।

यह पूरे मिथिला के लिए गौरव की बात है। इस मौके पर प्राणप्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर ग्रामीणों के द्वारा 5100 दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया जा रहा है। साथ ही सोमवार को प्राणप्रतिष्ठा के दिन भी दीपोत्सव मनाया जायेगा।

मौके पर समिति के अध्यक्ष झगडू यादव उर्फ राम अवतार शरण, सचिव जितेंद्र शाह, पुजारी बिहारी पाण्डे, अमरेश यादव, वीरेंद्र शर्मा, जितेंद्र यादव, मनीष सिंह, रंजित ठाकुर, पिंटू यादव, सहित अन्य लोग मौजूद थे।

 

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