सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा जा रहा है. बिंदेश्वर पाठक की उपलब्धियां, काम और सार्वजनिक जीवन देश ही नहीं दुनिया के लिए एक नजीर है. भारत में मैला ढोने की प्रथा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बिंदेश्वर पाठक ने देश में स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका निभाई.
हालांकि देशभर में सुलभ शौचालय के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले सुलभ के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक का निधन 15 अगस्त 2023 को 80 साल की उम्र में हो गया था.
बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में 2 अप्रैल 1943 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद वह बनारस चले गए और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद बिंदेश्वर पटना आ गए और यहां यूनिवर्सिटी से मास्टर और पीएचडी की डिग्री पूरी की.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर को भी पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा जा रहा है..
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इन तमाम योद्धा को बधाई दी है .. उन्होंने कहा है कि पद्म पुरस्कार विजेताओं को उनके असाधारण योगदान के लिए बधाई! विभिन्न क्षेत्रों में आपके अनुकरणीय कार्यों ने न केवल हमारे समाज को समृद्ध किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का काम किया है।
आप में से प्रत्येक ने हमारी दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए उत्कृष्ट समर्पण, प्रतिभा और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
आपकी उपलब्धियाँ मानव प्रयास के भीतर निहित अविश्वसनीय क्षमता को प्रदर्शित करते हुए उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में चमकती रहें।