बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा अब नहीं रहे. सोमवार को दिल्ली के द्वारिका में स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया. जगन्नाथ मिश्रा मिश्रा काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके इलाज काफी दिनों से चल रहा था, परन्तु सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई. उनके निधन की खबर से बिहार सहित देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके दिल्ली स्थित आवास पर लगातार कई बड़े नेता पहुँच रहे हैं.
बता दें कि जगन्नाथ मिश्रा ने प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने. इस दौरान उन्होंने कई किताबें भी लिखी. जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. जगन्नाथ मिश्रा की रुचि राजनीति में बचपन से ही थी. क्योंकि उनके बड़े भाई, ललित नारायण मिश्रा राजनीति में थे और रेल मंत्री थे. बिहार में बड़े नेताओं के तौर पर जाने जाते थे. उनके पुत्र नीतीश मिश्रा भी राजनीति में है और उन्होंने बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. जगन्नाथ मिश्रा विश्वविद्यालय में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए.
जगन्नाथ मिश्रा 1975 में पहली बार मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार उन्हें 1980 में कमान सौंपी गई और आखिरी बार 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह 90 के दशक के बीच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे. जगन्नाथ मिश्रा कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए.
साल 2013 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से जगन्नाथ मिश्रा को चारा घोटाले में दोषी करार दिया गया. जबकि 23 दिसंबर 2017 को उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. आज से 21 साल पहले 1996 में 900 करोड़ रुपए का चारा घोटाला सामने आया था. सीबीआई ने 1997 में चार्जशीट फाइल की थी. सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत 44 से ज्यादा लोगों को दोषी करार दिया था. इस मामले में वर्ष 2002 में रांची के विशेष सीबीआई कोर्ट में ट्रायल शुरू हुई..