आजतक आपने देखी होगी अपने धर्म के अनुसार शादी या फिर मंदिर मस्जिद या फिर अदालत में शादी।मगर बेगुसराय में बीते रात संपन्न हुई एक शादी आम लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया है । जब किसी महापुरुष को साक्षी मानकर एक जोड़ी ने अपना दाम्पत्य जीवन स्थपित किया।
बलिया अनुमंडल में बीते रात एक जोड़े ने किसी मंदिर के बजाय बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष एक दूसरे को माला पहनाकर तथा मिठाई खिलाकर एक हो गए। इतना ही नहीं अग्नि के सात फेरे लेने के बजाय उक्त जोड़े ने बाबा साहब की प्रतिमा के फेरे लेकर साथ जीने मरने की कसमें भी खाई। सादे समारोह में की गई यह शादी राजनीति से प्रेरित हो या ना हो लेकिन आम लोगों के लिए खासा चर्चा का विषय बना हुआ है ।
एक रिपोर्ट
धर्म चाहे जो भी हो लेकिन आज तक आपने शादी जैसे पवित्र बंधन को अपने संबंधित धर्म एवं रीति रिवाज के अनुसार संपन्न होते देखा होगा । लेकिन बीती रात बलिया में एक जोड़े ने सारी परंपराओं को तोड़ते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष शादी रचाई ।
यह पूरा समारोह बलिया प्रखंड परिसर में अवस्थित अंबेडकर पार्क में बाबा साहब की प्रतिमा के समक्ष संपन्न हुआ।इस शादी समारोह का नेतृत्व अखिल भारतीय रविदास संघ बलिया के द्वारा किया गया। गौरतलब है कि खगड़िया जिला के मछरहा निवासी ललन दास ने अपने पुत्र अमित दास की शादी बलिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत भगतपुर निवासी प्रकाश दास की पुत्री कल्याणी कुमारी के साथ तय की थी और गुरुवार की रात नव दंपति ने बाबा साहब के प्रतिमा के समक्ष जीने मरने की कसमें खाई
। वहीं स्थानीय लोग के अनुसार वह देवी देवताओं को तो मानते हैं लेकिन बाबा साहब के प्रति भी उनकी आस्था है और इसी वजह से तमाम झंझा वतों से दूर एवं बेफिजूल खर्चे की वजह से यह आयोजन किया गया…
। खैर जो भी हो लेकिन यह बेगूसराय ही नहीं वरन भारतबर्ष की पहली शादी होगी जो किसी मंदिर या अग्नि के समक्ष नहीं वरन किसी महापुरुष को साक्षी मानकर लिया गया है ।
धनंजय झा बिहार नाउ बेगूसराय
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