बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल आल इज वेल बताने वाले बिहार के स्वास्थ्य मंत्री जी और अधिकारी आपको क्या इस बेबस माँ की चीत्कार सुनाई देगी? क्या आप अब भी कहेंगे “आल इज वेल”..आज इस बेबस माँ के जिगर का टुकड़ा आपके सिस्टम के आगे दम तोड़ दिया लेकिन जरा सोचिए ..मौत इस मासूम की हुई है या सिस्टम की..
.दरअसल यह मामला जुड़ा है बिहार के जहानाबाद से। ..अरवल जिले के कुर्था थाना क्षेत्र के लारी सहोपुर गाँव में एक बच्चे की तबियत खराब हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने कुर्था प्रथमिक स्वस्थ केंद्र में इलाज के लिये भर्ती कराया, जहाँ डाक्टरो ने उसे बेहतर इलाज के लिये जहानाबाद रेफर कर दिया..
परिजन किसी तरह ऑटो से सवार होकर उसे इलाज के लिये जहानाबाद सदर अस्पताल लाया जहाँ डाक्टरों ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए पटना रेफर कर दिया, लेकिन मरीज के परिजन एम्बुलेंस के लिये लगभग दो घण्टे तक इधर से उधर भटकते रहे तबतक उस बच्चे की मौत हो गईं।
सिस्टम का नाकारापन देखिए मासूम की मौत के बाद भी उसे एम्बुलेंस नही मिला और मासूम की लाश को गोद मे लिए बिलखती माँ 25 किलोमीटर दूर अपने गांव के लिए पैदल ही निकल पड़ी।हलाँकि थोड़ी दूर पर मामले की जानकारी मिलते ही एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी गाड़ी से उन्हें उनके गांव तक पहुंचाया।
महीप, पटना, बिहार नाउ