सुपौल के त्रिवेणिगंज स्थित सरकारी अस्पताल से लापरवाही की खबरें सामने आई.. बिहार नाउ ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया.. बिहार नाउ के खबर दिखाए जाने के नीतीश सरकार के कैबिनेट मंत्री व सुपौल के प्रभारी मंत्री संजय झा ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लिया..
संजय झा ने तुरंत संज्ञान लेते हुए सुपौल के डीएम से इस संबंध में पूछताछ की.. जिसके जवाब में DM ने मंत्री संजय झा को बताया कि उक्त मरीज की मौत ऑक्सीजन की अभाव में नहीं हुई है.. उन्होंने बताया कि मेरे जानकारी के मुताबिक, एंबुलेंस आने में देरी होने के साथ साथ परिजन मरीज को जबरदस्ती अस्पताल से बाहर ऑक्सीजन के साथ ले आए.. जिसकी वजह से संभावित उनकी मौतें हुई है..
संजय झा को DM ने कहा कि जिले में ऑक्सीजन की कोई दिक्कत नहीं है.. हालांकि इस मामले में हमने जांच का आदेश दे दिया है और खुद भी देर शाम मौके पर जाने के बाद आपको अपडेट दूंगा.. संजय झा ने इस बात की जानकारी बिहार नाउ को मैसेज के माध्यम से दी है..
आपको बता दें कि त्रिवेणीगंज में शनिवार की देर शाम जो घटना घटी है वो स्वास्थ्य विभाग के बदइंतजामी की पोल खोल रही है। आरोप लगाया गया है कि मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद उसे रेफर कर दिया गया लेकिन न तो उसे ऑक्सीजन लगाया गया और न ही एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई जिसके चलते 40 वर्षीय एक महादलित ने बीच सड़क पर ही तड़प कर दम तोड़ दिया है। यह मामला त्रिवेणीगंज अनुमंडल मुख्यालय स्थित बुनियादी केंद्र का है। जहां कोरोना सेंटर संचालित किया जा रहा है।
कोरोना से मृत 40 वर्षीय विजेंद्र सरदार के परिजन ने बताया की अस्पताल के डॉक्टर एवं नर्स की लापरवाही के कारण बिजेंद्र सरदार की मौत हो गई है।
। मालूम हो कि मृतक विजेंद्र पिलुवाहा पंचायत के वार्ड नं 06 का रहनेवाला था।
मृतक के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है की मरीज की तबियत बिगड़ने के बाद उसे शनिवार की सुबह बुनियादी केंद्र इलाज के लिए लाया गया। जहां डॉक्टर ने उसका इलाज शुरू किया लेकिन मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण उसे रेफर कर दिया गया। जिसके बाद मरीज को बाहर कर दिया गया। लिहाजा मरीज को लेकर उसके परिजन बुनियादी केंद्र के सामने सड़क पर ही बैठ गए। आरोप है कि रेफर होने के दो घंटे बाद तक मरीज को न तो ऑक्सीजन लगाया गया और न ही एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई। जिसके चलते मरीज बुनियादी केंद्र के बाहर सड़क पर ही दम तोड़ दिया। आरोप तो ये भी लगाया गया है कि मरीज की मौत के बाद उसे आनन फानन में ऑक्सीजन लगाया गया..