ū• महासेतु शिलान्यास के समय मुख्यमंत्री ही पथ निर्माण विभाग के भी मंत्री थे, टेंडर भी उन्हीं के समय
• पुल का हिस्सा ढहने की जाँच बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी से करायी जाए
• पथ निर्माण विभाग में वर्षों से जमे प्रधान सचिव को जाँच से अलग रखे सरकार
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की नीतीश कुमार की महत्वांकाक्षा पूरी करने की चक्कर में भेंट चढ़ गया 1710 करोड़ का महासेतु।
मोदी ने कहा कि कुछ लोगों की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरा करने के लिए निर्माण विभाग के ठेकेदारों को पहले से ज्यादा चढ़ावा देना पड़ रहा है, जिससे हर निर्माण में कम और घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है।
मोदी ने कहा कि अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु के शिलान्यास के समय मुख्यमंत्री ही पथ निर्माण विभाग के भी मंत्री थे और पुल का टेंडर भी उन्हीं के समय हुआ था।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब लगातार पुल निर्माण की मानीटरिंग कर रहे थे, तब आज किससे पूछ रहे हैं कि काम अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?
उन्होंने कहा कि महासेतु का हिस्सा बार-बार ढहने के मामले की जाँच किसी बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी से करायी जानी चाहिए।
मोदी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग में लंबे समय से जमे प्रधान सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पुल संबंधी जाँच प्रक्रिया से बिल्कुल अलग रखा जाए।
मोदी कहा कि यदि पुल का डिजाइन गलत था, तो उस पर काम करने की स्वीकृति किसने दी?
उन्होंने कहा कि नौ माह पहले सुल्तानगंज महासेतु का पाया ढहने पर भी समीक्षा हुई थी, लेकिन पूरे मामले पर लीपापोती हो गई। आइआइटी रुड़की की टीम को जांच करने में कई महीने क्यों लग गए?
मोदी ने कहा कि हमने पूरे मामले पर जो सवाल उठाये, उनमें से किसी का जवाब सरकार नहीं दे पायी।