बिहार में एकबार फिर राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराव बढ़ गया है। बिहार के यूनिवर्सिटी में हस्तक्षेप और अधिकार को लेकर एकबार फिर तकरार बढ़ गयी है। इस बार शिक्षा विभाग ने गवर्नर के अधिकारों को चुनौती देते हुए पूछ दिया है कि यूनिवर्सिटी एक्ट के किस सेक्शन में लिखा है कि आप स्वायत्तता का अधिकार रखते हैं ?
इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने कहा है कि आपके मना करने से यूनिवर्सिटी में दखल देना विभाग बंद नहीं करेगा। इतना ही नहीं, गुरुवार को राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू ने कुलपतियों को आदेश दिया था कि केवल राजभवन के आदेश को ही मानें।
इसपर भी शिक्षा विभाग ने पलटवार करते हुए सभी कुलपतियों को शिक्षा एवं शैक्षिक प्रशासन को बेहतर करने का फरमान जारी किया। साथ ही कुलपतियों को आदेश दिया गया है कि अगर वे मुख्यालय छोड़ते हैं या छुट्टी पर जाते हैं तो इसकी सूचना विभाग को दें।
राज्यपाल के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने पूछा है कि आप यूनिवर्सिटी और खुद की स्वायत्तता की बात करते हैं तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यूनिवर्सिटी के लंबित 3 हजार मामलों को क्यों नहीं लड़ते हैं? कोर्ट केस का जिम्मा शिक्षा विभाग के ऊपर क्यों है? विभाग विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप करना बंद नहीं करेगा क्योंकि सरकार के नियम के तहत यूनिवर्सिटी द्वारा दिशा-निर्देश मांगे जाने पर उन्हें संचालित करने में विभाग सपोर्ट करता है।
इसके साथ ही कहा गया है कि सरकार प्रत्येक साल 4 हजार करोड़ रुपये यूनिवर्सिटीज को देती है। अगर कुलाधिपति सचिवालय अपने अधिकारों को लेकर इतना ही उत्सुक हैं तो उन्हें सलाह दी जाती है कि सभी कोर्ट केस या अन्य अदालती मामलों को वे सीधे लड़ें…
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर तकरार बढ़ी थी। यहां तक कि बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन बंद करने के विभाग के आदेश पर राजभवन ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।
हालांकि, बाद में गवर्नर राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई बातचीत के बाद मामला सुलझ गया था। शिक्षा विभाग ने कुलपतियों की नियुक्ति संबंधी दिए गये विज्ञापन को वापस ले लिया था।