सीतामढ़ी में एनआरसी और सीएए के विरोध में बुलाए बंदी के दौरान एंबुलेंस को रोक दिया गया,.. एंबुलेंस में मौजूद दर्द से कराहती गर्भवती महिला की हालात नाजुक होने के बावजूद बंद समर्थकों ने एंबुलेंस को रोक दिया और वापस ले जाने की बात कहने लगे..
पीड़िता के परिजनों और एंबुलेंस ड्राइवर के गुजारिश के बावजूद बंद समर्थकों ने नहीं माना और वापस एंबुलेंस नहीं ले जाने पर जला डालने की धमकी देने लगे…
बाजपट्टी थाना क्षेत्र के हरपुरवा नेशनल हाईवे को एनआरसी और सीएए के विरोध में लोगों ने जाम कर रखा था ,इसी बीच दर्द से कराहती एक महिला एंबुलेंस से जब हरपुरवा के पास पहुंची तो लोगों ने उस एंबुलेंस को नहीं जाने दिया .इसकी सूचना बाजपट्टी थानाध्यक्ष को दी गई, बावजूद पुलिस एंबुलेंस पास करवाने को लेकर किसी तरह की कोशिश तो छोड़िए, मौके ए वारदात पर पहुंचना भी मुनासिब नहीं समझा… आखिरकार बंद समर्थकों ने एंबुलेंस को वापस कर दिया…
एम्बुलेंस में उषा देवी नाम की एक गर्भवती महिला थी जिसका हिमोग्लोबिन सिर्फ 7% था जिसके कारन पुपरी पीएचसी से सीतामढ़ी सदर अस्पताल के लिए रेफर किया गया था ताकि सदर हॉस्पिटल में महिला की सुरक्षित डिलीवरी हो सके…
सबसे बड़ा सवाल कि आखिरकार एंबुलेंस को रोकने का अधिकार बंद समर्थकों को किसने दी ?
सूचना मिलने के बावजूद भी पुलिस की नींद क्यों न खुली ?
संबंधित पुलिस अधिकारी और बंद समर्थकों पर कानून संगत कार्रवाई क्यों नहीं ??
आमोद , बिहार नाउ, सीतामढ़ी…