Bihar Now
ब्रेकिंग न्यूज़
Headlinesअन्यटैकनोलजीटॉप न्यूज़बिहारस्वास्थ्य

देश के 11 राज्यों ने मातृ दर के लक्ष्य को किया पूरा,7 राज्यों के मातृ मृत्यु दर में आई कमी…

Advertisement

• बिहार सहित अन्य 5 राज्यों के लिए पहली बार स्वतंत्र रूप से मातृ मृत्यु दर की बुलेटिन की गयी प्रकाशित

• वर्ष 2025 तक देश एसडीजी लक्ष्य हासिल करने में होगा सफ़ल
• आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के तहत 1.03 करोड़ से अधिक ब्रेस्ट कैंसर एवं 69 लाख से अधिक सर्वाइकल कैंसर के लिए महिलाओं की हुयी जाँच
• देशभर में औसत 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को जेएसवाई का लाभ

Advertisement

पटना/ 1 मार्च: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रेस नोट जारी कर देश के स्वास्थ्य सुविधाओं में हुयी प्रगति की जानकारी दी है. मातृ मृत्यु दर में कमी लाना देश के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है. लेकिन 1 वर्ष में ही देश की मातृ मृत्यु दर में 8 अंकों की कमी आई है, जो स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता एवं सेवा प्रदायगी की गुणवत्ता में सुधार की तरफ इशारा करती है. वर्ष 2014-16 में भारत की मातृ मृत्यु दर 130 प्रति लाख जीवित जन्म थी, जो वर्ष 2015-17 में घटकर 122 प्रति प्रति लाख जीवित जन्म हो गयी. इस तरह एक वर्ष में कुल 6.2% की कमी दर्ज हुयी है. ये आंकडें भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नवीनतम विशेष बुलेटिन का है. इसका अर्थ है भारत ने वर्ष 2025 तक मातृ मृत्यु दर कम करने का सतत विकास लक्ष्य(एसडीजी) हासिल करने में प्रगति की है. इस तरह वर्ष 2030 से 5 साल पहले ही ही इस लक्ष्य को पूरा करने में सफलता मिल जाएगी.

11 राज्यों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य निति के लक्ष्य किये पूरे:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत वर्ष 2020 तक 100 प्रति लाख जीवित जन्म(मातृ मृत्यु दर) के महत्वकांक्षी लक्ष्य को देश के 11 राज्यों ने हासिल कर लोया है. जिसमें केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, झारखण्ड, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक एवं हरियाणा राज्य शामिल है. वहीँ बिहार सहित छतीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों में पहली बार स्वतंत्र रूप से मातृ मृत्यु दर की बुलेटिन प्रकाशित की गयी है. जबकि 7 अन्य राज्यों के भी मातृ मृत्यु दर में कमी आई है. जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान एवं तेलंगाना शामिल है. ये राज्य मातृ मृत्यु दर में आई राष्ट्रीय औसत कमी 6.2% से अधिक या बराबर है.

इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों ने दिया योगदान:

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं पहलों के कारण यह सफलता दर्ज हो सकी है:

• आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर : आयुष्मान भारत सलेक्टिव एप्रोच से स्वास्थ्य सेवा से निरंतर स्वास्थ्य सेवा की ओर बढ़ने का प्रयास है. जिसके तहत प्राथमिक, माध्यमिक एवं तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्तापूर्ण उपलब्धता एवं सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करनी है. आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में खास कर महिलाओं को ओरल, सर्वाइकल एवं ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम के लिए निःशुल्क जाँच की जाती है. अब तक देश भर में ब्रेस्ट कैंसर के लिए 1.03 करोड़ से अधिक एवं सर्वाइकल कैंसर के लिए 69 लाख से अधिक महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच की गयी है.

• प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जून, 2016 को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान(पीएमएसएमए) शुरू किया. इसके तहत पूरे देश में माह की 9 वीं तारीख को सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भवती माहिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा प्रदान की जाती है. जिसमें सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पताल भी स्वेच्छा से योगदान दे रहे हैं.
पीएमएसएमए के तहत देश भर में प्रसव पूर्व देखभाल प्राप्त गर्भवती की संख्या 2.39 करोड़ से अधिक है. पीएमएसएमए स्वास्थ्य केंद्र में पहचान की गयी ज्यादा जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 1.25 लाख से अधिक है. जबकि इस अभियान के लिए कुल 6219 पंजीकृत स्वैच्छिक कार्यकर्ता भी है.

• सुरक्षित मातृत्व आश्वासन( सुमन): इस पहल का लक्ष्य सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के आश्वासन को सुनिश्चित करते हए रोकथाम योग्य सभी मातृ एवं नवजात मृत्यु को रोकने का है. इसकी शुरुआत 10 अक्टूबर 2019 को भारत सरकार ने की, जिसे सुमन कार्यक्रम नाम दिया गया. एक उतरदायी कॉल सेंटर के माध्यम से शिकायत दर्ज कर उसका समाधान करना, मातृ मृत्यु की सूचना दर्ज करने की केंद्रीकृत व्यवस्था, सामुदायिक भागीदारी पर विशेष बल एवं मेगा आईसी/बीसीसी कैंपेन के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने जैसे कदम इस कार्यक्रम की विशेषता है.

• जननी सुरक्षा योजना(जेएसवाई) : संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना(जेएसवाई) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. जिसमें ग्रामीण महिलाओं को सरकारी संस्थान में प्रसव कराने पर 1400 रूपये एवं शहरी महिलाओं को 1000 रूपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है. इससे देश की संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी हुयी है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण( 2007-08) के अनुसार देश भर में 47% प्रसव ही अस्पतालों में होते थे, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 78.9% हुयी. इस अवधि में सुरक्षित प्रसव भी 52.7% से बढ़कर 81.4 प्रतिशत हो गयी.
पिछले कुछ वित्तीय वर्ष में जेएसवाई लाभार्थियों की भी संख्या बढ़कर औसत 1 करोड़ से अधिक हो गयी, जो वर्ष 2005-06 में केवल 7.39 लाख थी. राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20( दिसम्बर, 2019 तक) के लिए जेएसवाई लाभार्थियों की कुल संख्या 75.7 लाख दर्ज की है.

Advertisement

Related posts

रोहतास : सोन पुल के पिलर में 24 घंटे से फंसा मासूम, पिलर नंबर एक के बीचों-बीच फंसा बच्चा… रेस्क्यू जारी

Bihar Now

तेजस्वी के आह्वान पर समर्थकों का मिला साथ, दीप व लालटेन जलाकर किया विरोध प्रदर्शन,निक्कमी सरकार को फेंकने का लिया संकल्प..

Bihar Now

दरभंगा में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही !… सॉइनस का ऑपरेशन कराने पहुंची एक महिला गंवा बैठी आंख की रोशनी …

Bihar Now