कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर बिहार में दूसरी बार लॉक डाउन किया गया । लॉक डाउन करना सरकार की मजबूरी थी क्योंकि जिस तरह से बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी । वहअपने आप में सरकार की कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने की रणनीति पर सवाल खड़ा कर रहा था। सरकार के लाख दावों के बावजूद मेडिकल इमरजेंसी की घोषणा मात्र एक दिखावा भर साबित हो रही है। मेडिकल एमरजैंसी के तहत यहां सारे स्वास्थ्य कर्मियों ( डॉक्टर से लेकर वार्ड बॉय ) तक की छुट्टियां कैंसिल कर दी गई है वही सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण भागलपुर में बीती रात देखने को मिला ।
बिहार में वेंटिलेटर के सहारे सांसे गिन रही सरकारी चिकत्सा सेवा ने शुक्रवार की रात एक और महिला की जान ले ली । भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गायनी आईसीयू में भर्ती महिला की तडप तड़प कर मौत हो गयी । सूबे के सबसे बडे अस्पतालों में से एक जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिजली कटने से वेंटिलेटर बंद हो गया । जिसका परिणाम वेंटिलेटर के सहारे सांस ले रही महिला तड़प कर मर गयी । लापरवाही की हद तो देखिये कि जिस समय यह घटना हुई उस दौरान आईसीयू से डॉक्टर और नर्स दोनों गायब थे।
भागलपुर के बूढ़ानाथ निवासी चंद्रशेखर प्रसाद की 55 वर्षीय पत्नी निर्मला देवी को शुक्रवार की सुबह जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था. । महिला की हालत गंभीर थी, लिहाजा डॉक्टरों ने मरीज को गायनी आईसीयू में शिफ्ट कर दिया । आईसीयू में तैनात एनेस्थिसिया के डॉक्टर ने मरीज को सी-पैप वेंटिलेटर पर डाल दिया । इसके बाद मरीज की सेहत में सुधार होने लगीं।
शुक्रवार की रात करीब 8:55 बजे अचानक गायनी आईसीयू की बिजली कट गयी । बिजली कटने के दो से तीन मिनट बाद वेंटिलेटर ने भी काम करना बंद कर दिया । आईसीयू में जहां हर वक्त डॉक्टर और नर्स को तैनात रहना पड़ता है , वहां कोई डॉक्टर-नर्स नहीं था । महिला के परिजनों ने जब मरीज को छटपटाते देखा तो खुद उसे दूसरे बेड पर लगे वेंटिलेटर तक ले गये । जब तक वे मरीज को दूसरे वेंटिलेटर पर ले जाते । तब तक मरीज की मौत हो गयी.
महिला मरीज की तड़प तड़प कर मौत होने के बाद आईसीयू को जेनरेटर के जरिये बिजली आपूर्ति की गयी । मौत के बाद जब वेटिंलेटर की जांच की गयी तो पता चला कि उसकी बैट्री भी खराब थी । दरअसल सारे वेंटिलेटर में बैट्री लगा होता है ताकि बिजली गुल हो तो भी वेंटिलेटर बंद नहीं हो । लेकिन भागलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगे वेंटिलेटर की बैट्री खराब थी और किसी को इसकी जानकारी तक नहीं थी । जाहिर है एक बार वेटिंलेटर की खरीद के बाद उसकी जांच करने की जहमत नहीं उठायी गयी थी.
किसी भी अस्पताल के आईसीयू में 24 घंटे डॉक्टर और नर्स के ड्यूटी पर तैनात रहने का प्रावधान रहने है । लेकिन जब भागलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिजली गुल हुई तो नर्स-डॉक्टर की कौन कहे बिजली आपूर्ति करने वाली आउटसोर्सिंग एजेंसी का सुरक्षा गार्ड तक गायब थे । महिला के परिजन गार्ड को ढ़ूढ़ते रह गये लेकिन वह नहीं मिलाय आईसीयू में भर्ती मरीजों की निगरानी की जिम्मेदारी वहां तैनात नर्स की थी लेकिन 10 मिनट तक बिजली कटी रही और ऑक्सीजन के अभाव में महिला मरीज तड़पती रही. इस दौरान आईसीयू में तैनात एक भी नर्स नहीं मिली । आईसीयू में 24 घंटे चिकित्सक की तैनाती की जाती है लेकिन कोई डॉक्टर भी वहां नहीं था ।
महीप राज, बिहार नाउ