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सहरसा में रेमडिसिविर के धंधेबाजों पर कसा शिकंजा, SDO के नेतृत्व में जिले के अलग अलग इलाकों में कार्रवाई…

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सहरसा।कोरोना काल में जिले के दवा एजेंसी, दवा बिक्रेता सहित रेडियोलाजी जांच संचालक मरीजों व उनके परिजनों से निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक राशि लेकर अब तक खुलेआम कालाबाजारी का खेल खेलते रहे हैं।मरीज व उनके परिजनों का खुलेआम दोहण करने वाले इन धंधेबाजों को सहायक ड्रग नियंत्रक एवं ड्रग निरीक्षक का सहयोग भी मिलते रहा है।लेकिन कुछ पीड़ित लोगों से शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच कराकर उक्त धंधेबाजों और ड्रग नियंत्रक व ड्रग निरीक्षक की मिलीभगत का पर्दाफास करते हुए अब इन सबों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है।

जिला प्रशासन पिछले दो दिनों के अंदर जहां स्थानीय गांधी पथ स्थित एक रेडियोलाजी संचालक से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक मरीज व उनके परिजनों से ली गयी अधिक राशि के लौटवाने की कार्रवाई पूरी की वहीं स्थानीय महावीर चौक स्थित शिव शक्ति मेडिकल एजेन्सी संचालक से रेमडेसिविर की खरीद करने वाले लोगों से ली गयी अधिक राशि भी लौटवाने की कार्रवाई पूरी की।जिला प्रशासन ने ली गयी अधिक राशि लौटवाने के बाद अब आगे की कार्रवाई करना भी शुरू कर दिया है।डीएम कौशल कुमार ने पीड़ित लोगों से मिली शिकायत पर डीडीसी राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किये थे।जांच कमिटी में सदर अनुमंडल पदाधिकारी शंभूनाथ झा को भी शामिल किया गया था।जिला प्रशासन ने गठित दो सदस्यीय जांच टीम के जरिये धंधेबाजों और ड्रग नियंत्रक एवं ड्रग निरीक्षक की मिलीभगत का पर्दाफास कर आगे की कार्रवाई शुरू की।जिला प्रशासन ने गुरूवार को सहायक ड्रग नियंत्रक महेश राम एवं ड्रग निरीक्षक पंकज कुमार सुमन को पद से हटाते हुए दोनों से अविलंब शोकाज जमा करने का निर्देश दिया है।जबकि महावीर चौक स्थित शिव शक्ति मेडिकल एजेंसी संचालक अरविन्द कुमार डोकानिया को भी अविलंब शो काज जमा करने का निर्देश देते कहा की क्यों नहीं उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए।जिला प्रशासन द्वारा कालाबाजारी के धंधे पर लगाम कसने को ले कड़ा रूख अख्तियार कर लेने के बाद धंधेबाजों के बीच अब खलबली मच गयी है।जबकि आमजनों का जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ने लगा है। डीएम कौशल कुमार ने गुरूवार को ड्रग नियंत्रक एवं ड्रग निरीक्षक को पद से हटाने के बाद को तैनात किया है।जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच दल द्वारा पूछताछ करने के क्रम में पीड़ित मरीज एवं परिजनों द्वारा जानकारी दी गयी की उन्हें दवा की आपूर्ति बिना बिल का ही किया गया।जबकि दवा एजेंसी के व्यवस्थापक अरविंद कुमार डोकानिया ने कहा की शुरू में जो भी रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया था उसका एमआर एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित दर समान रहने के कारण भूलवश उनके स्टाफ द्वारा एमआरपी पर ही दवा आपूर्ति कर दी गई।जांच रिपोर्ट में कहा गया की दवा एजेंसी व्यवस्थापक द्वारा परिजनों को निर्धारित दर से अधिक राशि लेकर दवा उपलब्ध करायी गयी एवं सिविल सर्जन के खाते में जमा किए गए राशि का दर भी स्पष्ट नहीं करना इनकी गलत नीयत को प्रदर्शित करता है।जबकि औषधि नियंत्रक महेश राम एवं औषधि निरीक्षक पंकज कुमार सुमन को रेमडेसिविर इंजेक्शन की मरीज तक आपूर्ति होने को लेकर निगरानी करने की जिम्मेदारी विभाग द्वारा दी गई थी।

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लेकिन इनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया।ऐसे में मरीजों को सरकार द्वारा निर्धारित दर से ज्यादा भुगतान करने को विवश होना पड़ा। मरीजों को दवा के मूल्य का बिल पर्चा भी नहीं दिया गया।बताया गया की निर्धारित दर की सूचना प्राप्त होने के बावजूद भी 40 वाइल रेमडेसिविर दवा निर्धारित मूल्य 1568 के बदले 3400 की दर से एवं दो वाइल दवा 1568 के स्थान पर 2450 रुपए की दर से मरीजों को बेचा गया।डीएम कौशल कुमार ने कोरोना काल में आपराधिक एवं लापरवाह कृत्य के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा करने का आदेश निर्गत किया है।

सहरसा से बी एन सिंह पप्पन

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