कोरोना (Covid-19 )के बढ़ते मामलों और मरीजों को अस्पतालों में समय पर इलाज नहीं मिलने के मामलों को लेकर पटना हाईकोर्ट सख्त रुख दिखाया हैl न्यायालय के अनुसार जरूरत मन्द को समुचित चिकित्सीय सुविधा मिलना भी मौलिक अधिकार है l और अगर कोई इसमे नाकाम होता है तो अपराध माना जाएगा l
कोर्ट ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर करोना महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है. माननीय चीफ जस्टिस संजय करोल की खण्डपीठ ने जनहित मामलों पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि राज्य में यदि किसी जरूरतमंद को समय पर ट्रीटमेंट देने में कोई प्राइवेट अस्पताल नाकाम रहा, तो वह मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा l और उसके विरोध में याचिका दायर की जाए l
कोरोना के मरीजों को इलाज और जरूरी दवाएं नहीं मिलने को लेकर दाखिल याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा है कि जरूरतमंद को समय पर उपचार देना उसके मौलिक अधिकारों का हिस्सा है l इसमें यदि लापरवाही हुई तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगाl राज्य में कोरोना के कारण सरकार को लॉक डाउन लगाना पड़ाl सूबे के सरकारी अस्पताल हों या डॉक्टर समेत तमाम मेडिकल कर्मी, सभी को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मरीजों का सेवा करनी होगीl
राज्य के प्राइवेट अस्पताल भी लोगों के जीवन जीने के मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं रख सकते अन्यथा अपराध माना जाएगा l
वहीं कोर्ट मित्र की रिपोर्ट के आलोक में बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने इसके मद्देनजर पीएमसीएच में सीनियर डॉक्टर्स की तीन अलग-अलग कमेटियां गठित कर दी हैं। एक कमेटी मरीजो के स्वजनों की समस्याओं के लिए भी है।
हाईकोर्ट ने पीएमसीएच को निर्देश दिया कि हर 15 दिन पर उक्त तीनों कमेटियों की रिपोर्ट कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली को सौंपा करे। अस्पताल प्रशासन ने यह आश्वासन दिया कि भविष्य में ऑक्सीजेंन आपूर्ति से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिलेगी।
डॉ. विनोद कुमार कश्यप (विभागअध्यक्ष- एनेस्थीसिया)
डॉ. अभिषेक बासुकी (उपअधीक्षक)
साफ-सफाई और पथ्य भंडार कमेटी
डॉ. उमाशंकर सिंह (विभागाध्यक्ष- सर्जरी)
डॉ. अशोक कुमार झा (उपाधीक्षक)
मरीजों की समस्याओं की देखरेख की कमेटी
डॉ. विनीता सिन्हा (विभागाध्यक्ष- ई एंड टी)
डॉ. अशोक कुमार झा (उपाधीकक्ष)