पटना : राज्य में फाइलेरिया के मामलों में कमी देखी जा रही है। अब राज्य में इसके एक लाख से भी कम केस हैं। फाइलेरिया के सबसे ज्यादा केस लिम्फोएडेमा या हाथीपांव के आते हैं।
बिहार सरकार के द्वारा एकत्रित 2021 के आंकड़ों के मुताबिक पूरे राज्य में लिम्फोएडेमा या हाथीपांव के कुल 73519 केस मिलें हैं।
वहीं हाइड्रोसील के 17138 केस राज्य में मिलें हैं। राज्य सरकार के द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान का लाभ यह होता दिख रहा है कि जहां पूरे राज्य में इसके केस कम हुएं हैं वहीं दूसरी ओर कई जिलों में इसके केस शून्य हो चुके हैं।
अरवल, भोजपुर, लखीसराय, नालंदा, नवादा, शेखपुरा जिले में फाइलेरिया के केस शून्य दर्ज किए गए हैं।
राज्य में सबसे अधिक हाथीपांव के केस समस्तीपुर में सामने आएं हैं, यहां इसके 16977 मामले मिले हैं। इसके बाद गोपालगंज में 6225 केस, मुंगेर में 5380, गया में 4792, पूर्वी चंपारण में 4538, सारण में 4028, सीवान 3955, वैशाली 3446 मामले मिले हैं।
वहीं बिहार सरकार द्वारा जारी 2021 के आंकड़ों के मुताबिक हाइड्रोसील के राज्य में मिले कुल 17138 केस में सबसे अधिक 4612 केस गया में मिले हैं। इसके बाद पूर्णिया में 1538, मुंगेर में 1178 केस, पूर्वी चंपारण में 1040, समस्तीपुर में 1035 केस पाएं गए हैं। वहीं अन्य जिलों में एक हजार से भी कम केस मिलें थे। मधुबनी में 29, शिवहर में 39 और भागलपुर में मात्र 40 केस दर्ज किए गए हैं।
जल्द ही तीन तरह की दवाएं सभी जिलों में मिलेगी
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में राज्य सरकार को सहयोग दे रहे स्टेट कंसल्टेंट फाइलेरिया, डॉ अनुज सिंह रावत कहते हैं कि राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बचाव के लिए इसमें दो तरह की दवाएं आमतौर पर दी जाती थी, लेकिन हम इसे और बेहतर परिणाम के लिए तीन प्रकार की दवाएं देने की शुरुआत कुछ जिलों से कर चुके हैं।
जल्द ही पूरे राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए तीन तरह की दवाएं दी जाएंगी। फाइलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में बिहार ने काफी बेहतर प्रगति की है। हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में ही बिहार से फाइलेरिया खत्म हो जाएगा। वे कहते हैं कि राज्य में फाइलेरिया को लेकर हाल के वर्षों में काफी जागरूकता बढ़ी है।