दरभंगा – किसी भी देश या राज्य के विकास का सबसे बड़ा मापक शिक्षा है। इसी को देखते हुए दरभंगा के महाराजा स्वर्गीय कामेश्वर सिंह ने शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के प्रति लोक कल्याणकारी एवं बेहतरीन सोच के धनी व्यक्तित्व थे। उनके चिंतन, दर्शन एवं कार्य सराहनीय हैं।
उक्त बातें महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह की 116 वीं जयंती समारोह के अवसर पर उनके सुपौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह कही। इस अवसर पर उन्होंने देश और मिथिला के विकास के लिए दादाजी के द्वारा दिए गए योगदान को बताते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि उन्हें भारत रत्न दे।
महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह के सुपौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि आज हमारे दादाजी डॉ. सर कामेश्वर सिंह का 116 वीं जयंती है। हमारे दादाजी बहुत बड़े दानी थे। ये बात सभी लोग जानते है कि उन्होंने मिथिला और देश के लिए कितना दान दिया।
उन्हीं के जयंती के अवसर पर हम लोग मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाए हुए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे दादाजी डॉ सर कामेश्वर सिंह का शिक्षा जगत सहित सभी क्षेत्रों में उनका योगदान रहा है। हेल्थ में डीएमसीएच और पुअरहोम को देख लीजिए। शिक्षा जगत में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के साथ ही इंडिया का पहले यूनिवर्सिटी कोलकाता यूनिवर्सिटी के निर्माण में महेश्वर सिंह ने दान किया।
कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि हमें तो लगता है की इतिहास के पन्नों में कहीं हमारा परिवार का नाम ग़ुम गया है। उसे हमे रिवाइव करना है। अगर हमारे दादाजी को भारत रत्न मिलता है तो यह सभी लोगों के लिए गर्व की बात है।
आप विश्व के किसी कोने में जाइये, चाहे आप दिल्ली, मुंबई या फिर आप अमेरिका जाइयेगा। तो आप बोलिए गा ना कि हम दरभंगा से बिलॉन्ग करते हैं। दरभंगा ने देश के लिए का बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनका यह योगदान बिहार और मिथिला के लिए गर्व की बात है। इस दृष्टिकोण से उन्हें तो भारत रत्न मिलना ही चाहिए।
सुभाष शर्मा, बिहार नाउ, दरभंगा