संजय झा के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने से बिहार विधान परिषद की एक सीट खली हो गई है. वहीं मई महीने में बिहार विधान परिषद के 10 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. इनमें भाजपा के तीन, जदयू के चार, राजद के दो,कांग्रेस और हम के एक-एक सदस्य हैं. सीएम नीतीश कुमार, विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी का भी कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है. हालांकि इन दोनों का एक बार फिर से निर्वाचित होना लगभग तय है.
नीतीश कुमार, राबड़ी देवी के अलावा विप के उप सभापति डा रामचंद्र पूर्वे, भाजपा के मंगल पांडेय, सैयद शाहनवाज हुसैन, संजय पासवान, जदयू के खालिद अनवर,रामेश्वर महतो और कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्रा का कार्यकाल भी 6 मई को समाप्त हो रहा है.
ऐसी संभावना है कि अप्रैल महीने में ही विधान परिषद द्वि वर्षीय चुनाव हो सकता है. जिसमें सीएम नीतीश कुमार, विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी और मंत्री संतोष सुमन मांझी का चुना जाना लगभग तय है. हालांकि, संतोष सुमन मांझी को इसके लिए भाजपा के सहयोग की जरुरत होगी.
बता दें कि बिहार विधान परिषद में चुने जाने के लिए विधानसभा के 21 सदस्यों के वोट की जरूरत होती है.इस तरह संख्या बल के आवास पर एनडीए आसानी 6 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है.वहीं विपक्ष को 5 सीट के लिए 105 विधायकों की जरुरत होगी.
विधानसभा में अब 78 विधायकों वाली भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है. राजद के 79 विधायकों में से तीन ने जदयू खेमें में आ गये है.ऐसे में राजद के अब 76 विधायक रह गये हैं. जदयू के 45, हम के चार, कांग्रेस के 19, भाकपा माले के 11, माकपा और भाकपा के चार तथा एक निर्दलीय व एएमआइएएम के एक विधायक हैं. भाकपा मनोज मंजिल की सदस्यता समाप्त हो गयी है.