प्रभाष चंद्रा , सुपौल
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिसूचना के मुताबिक राज्यभर के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियोजन के लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो जाना चाहिये, लेकिन सुपौल जिला में इस सरकारी अधिसूचना का जिला शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं दिख रहा है और न ही अधिकारी इस बात को लेकर संजीदगी दिखा रहे हैं । शिक्षा विभाग की सुस्ती इस कदर है कि जिले में शिक्षक नियोजन का रोस्टर भी अभी तक जारी नहीं हुआ है जिससे कि लंम्बे समय से बहाली का इंतजार कर रहे अभ्यर्थी परेशान हैं।
मालूम हो कि इससे पहले आवेदन प्रक्रिया 26 अगस्त से ही शुरू होनेवाली थी लेकिन विभागीय लापरवाही के वजह से इसे बढ़ाकर 18 सितंबर किया गया लेकिन आज 21 सितंबर बीत जाने के बाद भी जिले में शिक्षक नियोजन-2019 का रोस्टर जारी नहीं होना विभागीय कार्य शैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं ।सरकार द्वारा 2 जुलाई को जारी अधिसूचना के मुताबिक जिले में 20 अगस्त तक ही रोस्टर जारी हो जाना था लेकिन विलम्ब की वजह से इसे संसोधित कर 9 सितंबर कर दिया गया लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग रोस्टर जारी नहीं कर सका।
जबकि 13 सितम्बर को सभी नियोजन इकाई नियोजन हेतु सूचना का प्रकाशन करना था और 18 सितम्बर से अभ्यर्थियों से आवेदन लेने का निर्देश दिया गया था बावजूद इसके जिला शिक्षा विभाग कि उदसीनता अभ्यर्थियों के लिए परेशानी का कारण बन गया है ,और अब तक रोस्टर भी जारी नहीं हो सका है आवेदन लेना तो दूर कि बात है । इस संबंध में डिपीओ स्थापना प्रेम रंजन ने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि दो तीन दिन में रोस्टर का प्रकाशन कर लिया जायेगा वहीं इस कार्य में हुए विलम्ब को लेकर किरानी को इसके लिए जिम्मेदार भी ठहरा दिया कहा कि पुराने क्लर्क रहते तो हो गया रहता नया आया है इस कारण थोड़ा विलम्ब हो गया है ।
अब सवाल उठता है कि क्या ऐसे ही शिक्षा विभाग के भरोसे शिक्षकों का नियोजन प्रक्रिया है जो सरकार के निर्देशों को कोई तवज्जो नहीं देते हैं तभी तो आज तक पूर्व में हुए शिक्षक नियोजन में धांधली सरकार अभी तक नहीं सुधार पायी निगरानी के माध्यम से भी जांच कि प्रक्रिया अब तक ठंढे बस्ते में ही पड़ा है
शायद यही कारण है कि शिक्षा विभाग शिक्षक नियोजन को लेकर उतनी संजीदगी नहीं दिखा रही जितनी होनी चाहिये ।