भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार रात साढ़े नौ बजे चेन्नई में अपने आवास पर 86 साल की उम्र में निधन हो गया.
1955 बैच के आईएएस अधिकारी रहे टीएन शेषन 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए थे. उन्हें देश में व्यापक चुनाव सुधार करवाने का श्रेय दिया जाता है.
बीते दशकों में टीएन शेषन से ज़्यादा नाम शायद ही किसी नौकरशाह ने कमाया है. 90 के दशक में तो भारत में एक मज़ाक प्रचलित था कि भारतीय राजनेता सिर्फ़ दो चीज़ों से डरते हैं.
एक ख़ुदा और दूसरे टी एन शेषन से और ज़रूरी नहीं कि उसी क्रम में! शेषन के आने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त एक आज्ञाकारी नौकरशाह होता था जो वही करता था जो उस समय की सरकार चाहती थी.
उनकी प्रसिद्धि का कारण ही यही था कि उन्होंने जिस मंत्रालय में काम किया उस मंत्री की छवि अपने आप ही सुधर गई. लेकिन 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद इन्हीं शेषन ने अपने मंत्रियों से मुँह फेर लिया.
1992 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने सभी ज़िला मजिस्ट्रेटों, चोटी के पुलिस अधिकारियों और करीब 280 चुनाव पर्यवेक्षकों को ये साफ़ कर दिया कि चुनाव की अवधि तक किसी भी ग़लती के लिए वो उनके प्रति जवाबदेह होंगे.
एक रिटर्निंग ऑफ़ीसर ने तभी एक मज़ेदार टिप्पणी की थी, “हम एक दयाविहीन इंसान की दया पर निर्भर हैं.” सिर्फ उत्तर प्रदेश में शेषन ने करीब 50,000 अपराधियों को ये विकल्प दिया कि या तो वो अग्रिम ज़मानत ले लें या अपने आप को पुलिस के हवाले कर दें.
हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दिन पंजाब के मंत्रियों के 18 बंदूकधारियों को राज्य की सीमा पार करते हुए धर दबोचा गया. उत्तर प्रदेश और बिहार सीमा पर तैनात नागालैंड पुलिस ने बिहार के विधायक पप्पू यादव को सीमा नहीं पार करने दी.
साभार – BBC hindi