अमृतसर : गुरुनानक देव अस्पताल में एक नर्स स्टाफ ने मोबाइल पर बात करते-करते बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा दिया। यह इंजेक्शन आईसीयू में उपचाराधीन एक मरीज को लगाया जाना था। नर्स मोबाइल पर इतना व्यस्त थी कि उसने इसी इंजेक्शन को सीरिंज में भरकर दो वर्षीय बच्चे को लगा दिया। कुछ ही देर बाद बच्चे ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया…
इस घटना के बाद आक्रोश में आए स्वजनों ने बच्चे के शव के साथ अस्पताल के बाहर मजीठा रोड पर धरना लगाया और न्याय की मांग की। धरने के दौरान ही अचानक बच्चे की एक आंख हल्की से खुली। स्वजनों को लगा कि उसकी सांसें चल रही हैं। उसे फौरन गुरुनानक देव अस्पताल ही लाया गया। यहां डाक्टरों ने जांच की और बच्चे को मृत घोषित किया…
दरअसल, दक्षप्रीत नामक इस बच्चे की जांघ में सूजन थी। साधारण सी इंफेक्शन के चलते उसे गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। बच्चे के चाचा रविंदर के अनुसार वार्ड में कार्यरत नर्सिंग सिस्टर ने एंटी बायोटिक इंजेक्शन लाने को कहा। मैं मेडिकल स्टोर से मोनोसेफ-500 इंजेक्शन ले आया और नर्स को दिया। नर्स उस वक्त फोन पर बात कर रही थी।बात करते-करते उसने सीरिंज में इंजेक्शन भरा और बच्चे को लगा दिया। कुछ ही देर में बच्चा तड़पने लगा।
आनन-फानन में उसे वेंटिलेटर में स्थानांतरित किया गया। मैंने जब उस इंजेक्शन की जांच की तो पता चला कि यह तो मोनोसेफ-500 नहीं, जबकि न्यू वेकुरोनियम था। पूरी वायल ही इंजेक्शन में भरकर बच्चे को लगा दी गई थी। इससे बच्चे के नाक से खून निकलने लगा और वह तड़प तड़प कर दम तोड़ गया…